कबड्डी कप पर दिल्ली टीम का कब्जा..64 टीम ने किया शिरकत..फायनल में हिंदाडीह टीम को मिली करारी हार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर(रियाज़ अशरफी)– हिंडाडीह के भदरापारा  में आयोजित ग्रामीण स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला गुरुवार की रात दिल्ली वर्सेज हिंडाडीह के बीच खेला गया। दिल्ली की टीम ने हिंदाडीह टीम को भारी अन्तर से हराकर कप पर कब्जा किया। फायनल मैच में दिल्ली टीम ने हिन्दाडही ने 15 के मुकाबले 35 प्वाइंट बनाए। प्रतियोगिता में कुल 64 टीमो ने भाग लिया।
 
               हिन्दाडीह में आयोजित कबड्डी प्रतियोगा के फाइनल मुकाबला में दिल्ली टीम ने हिन्दाडीह को बडे अन्तर से जीत हासिल किया है। गुरूवार की रात्रि खेले गए मैच में अतिथि के रूप में सीपत प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रदीप पांडेय, जनपद सदस्य प्रतिनिधि अभिलेश यादव, संरक्षक हिमांशु गुप्ता, सरपंच जितेंद्र लास्कर, हरिकेश गुप्ता,पूर्व सरपंच तामेश्वर श्रीवास, योगेश पटेल, द्वारिकादास मानिकपुरी, उपसरपंच रामजी बिंझवार, राकेश कुमार, वीरेंद्र पाटनवार एवं भरत धीवर ने शिरक तकिया।
 
            कबड्डी प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला शुरुआत से ही बड़ा रोमांचक रहा। बाद में दिल्ली के खिलाड़ियों ने आक्रमक खेल का प्रदर्शन कर पकड़ को मजबूत किया। हिंडाडीह के मुकाबल दिल्ली टीम ने 20 पॉइंट की बढ़त बढ़ाकर कप पर कब्जा लिया। खेल के दौरान दर्शकों ने दोनों ही टीमो के खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। प्रतियोगिता में तीसरा कुंदरूनार सोंठी और चौथा स्थान बम्हनीकला टीम ने हासिल किया। रही। खिलाड़ियों
 
                  प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रदीप पांडेय ने कहा कि खेल जूनून और जज्बे के साथ खेला जाता है। हमें भी खिलाड़ियों कीतर दैनिक जीवन में खिलाड़ी भावना रखना चाहिए। जनपद सदस्य प्रतिनिधि अभिलेश यादव ने कहा कि कब्बडी पारंपरिक खेल है। परंपरा को जीवित रखना हम सबका कर्तव्य है। खेल के माध्यम से भाईचारे की भावना का विकास होता है।
 
         विजेता टीम दिल्ली को मछुआ कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र धीवर ने 10001 रुपए और शील्ड दिया।  उपविजेता हरदाडीह की टीम को सरपंच जितेंद्र लास्कर की तरफ से 7001 रुपए दिया गया। तीसरे स्थान पर सोंठी कुंदरूनार की टीम को जनपद सदस्य प्रतिनिधि अभिलेश यादव की ओर से 5001 रुपए चौथे स्थान पर बम्हनीकला की टीम को पूर्व सरपंच तामेश्वर श्रीवास की ओर से 3001 रुपए व शील्ड प्रदान किया गया।
 
                प्रतियोगिता को सफल बनाने में दशरथ मेरावी, लक्ष्मी उइके, द्वारिका, सावन सिंह, बद्रीनारायण आरमोर, सुखसिंह राज, दीपक मेरावी, पविन्द्र मनहरण, तामेश प्रजापति, ललित मरकाम, अरविंद, हरिशंकर यादव, सत्वर सिंह कोराम, लवी मेरावी, जयकिशन एवं हरनारायण पटेल का विशेष योगदान रहा।
 
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