रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी) देवउठनी एकादशी के अगले दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है कहते हैं कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती हैं।
इस दिन महिलाओं के द्वारा नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद प्रातः काल के समय अपनी तुलसी चबूतरा के समीप भगवान विष्णु के पूजा करते हुए उनके सामने धूप दीप जलाकर फल फूल मिठाईयां प्रसाद का भोग लगाने के बाद 108 बत्ती का दीपक जलाने के उपरांत आरती की जाती है। धर्म शास्त्र के अनुसार जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन उन्हें तुलसी दल भी अर्पित किया जाता है। बहुत सी महिलाएं निराहार रहकर शाम के समय भगवान विष्णु मंत्र का जाप के उपरांत फलाहार सेवन करती है।