पढ़िए दुग्ध उत्पादकों ने क्यों सड़क पर बहा दिया हजारों लीटर दूध, प्रशासन के एक तुगलकी फरमान से चौपट हो गया पूरा कारोबार

Shri Mi
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जांजगीर चांपा। जिले में प्रशासन के तुगलकी फरमान को लेकर दूध उत्पादक व विक्रेता संघ इन दिनों परेशान हैं। दरअसल कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने जिले में लागू किए गए लाकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने के दौरान प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी किए गए आदेश को संशोधित करते हुए दुग्ध पार्लर के सामने काउंटर लगाने पर प्रतिबंध लगाते हुए डोर टू डोर दूध वितरण करने की अनुमति प्रदान की गई है। ऐसे में जिला मुख्यालय सहित जिले में डेयरी व्यवसाय एक तरह से चौपट हो गया है।

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उत्पादकों के पास प्रतिदिन हजारों लीटर दूध हो रहा है, परंतु डेयरी नहीं खुलने से उनकी बिक्री नहीं हो पा रही है। इसको लेकर उन्होंने कुछ घंटे के लिए दूध पार्लर खोलने की अनुमति मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो विरोध स्वरूप दूध विक्रेता व उत्पादक कल्याण संघ के आह्वान पर व्यवसायियों ने हजारों लीटर दूध जिला मुख्यालय की सड़कों पर बहा दिया।

रविवार 2 मई को जिला मुख्यालय जांजगीर की सड़कें व कुछ गलियों में दूध की धार बह रही थी। यहां न केवल शहर बल्कि आसपास गांव से डेयरी में दूध सप्लाई करने वाले छोटे छोटे व्यवसाई हजारों लीटर दूध लेकर पहुंचे थे। सुबह करीब 7:30 बजे जिला मुख्यालय की सड़कों पर और शहर के नहरिया बाबा रोड पर संचालित डेयरी के अलावा पुरानी बस्ती सहित दूध विक्रेता एवं उत्पादक कल्याण संघ द्वारा बताए गए स्थान पर एकत्र हुए। इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के तुगलकी फरमान का विरोध करते हुए हजारों लीटर दूध सड़कों और गलियों पर बहा दिया। दूध उत्पादक व विक्रेता संघ के सदस्यों का कहना था, कि जिले में 13 अप्रैल से लागू लाकडाउन ने उनका धंधा ऐसे ही चौपट कर दिया है।

शुरुआत में प्रशासन द्वारा दुग्ध पार्लर के सामने काउंटर लगाकर दूध बेचने की अनुमति प्रदान की गई थी, लेकिन लॉक डाउन की अवधि जब बढ़ाई गई तो जिम्मेदार प्रशासनिक अमले को ना जाने क्या सुझा, कि दुग्ध पार्लर के सामने कुछ घंटे दूध बेचने की छूट पर रोक लगा दी गई और विक्रेताओं को डोर टू डोर दूध सप्लाई करने कहा गया है। ऐसी स्थिति में दूध पार्लर व डेयरी फार्म के भरोसे रहने वाले दूध उत्पादकों का धंधा चौपट हो गया है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि दूध की बिक्री हो ना हो उन्हें अपने पशुओं को चारा खिलाना ही पड़ता है।

इसको लेकर जिले के दूध उत्पादक व विक्रेता कल्याण संघ ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी बात रखी थी। ज्ञापन में उन्होंने कहा था कि प्रदेश के किसी भी जिले में दुग्ध पार्लर को बंद नहीं किया गया है, सभी जगहों पर कुछ घंटे संचालित करने के आदेश दिए गए है, लेकिन जांजगीर-चांपा जिले में दूसरी बार जारी हुए आदेश में दूध पार्लर और डेयरी को पूरी तरह से बंद करते हुए डोर टू डोर दूध सप्लाई के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में प्रतिदिन हजारों लीटर दूध की घरो घर सप्लाई कर पाना संभव नहीं है।

खास बात यह है कि लाकडाउनन में दूध की बिक्री ऐसे भी कम हो गई है, जिसके कारण वे दही पनीर और अन्य सामग्री बनाकर डेयरी में बिक्री करते हैं, परंतु डेयरी बंद होने से वह भी नहीं बिक रहा है। उनकी इस अर्जी पर जिम्मेदार प्रशासनिक अमले ने किसी प्रकार की पहल नहीं की। ऐसी स्थिति में उन्होंने जिला मुख्यालय की सड़कों पर हजारों लीटर दूध को बहाकर प्रशासन के आदेश का विरोध किया। साथ ही अफसरों के नाम ज्ञापन सौंपकर कम से कम सुबह शाम 2:00 2 घंटे दूध पार्लर को खोलने की अनुमति मांगी है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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