आधारशिला विद्या मंदिर में ‘ नो बैग डे’, उत्साह के साथ बच्चों ने हिस्सा लिया

Chief Editor
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बिलासपुर । बच्चों के सह-संज्ञानात्मक विकास के लिए आधारशिला विद्या मंदिर में ‘नो बैग डे’ का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम के लिए बच्चे सुबह 8 बजे विद्यालय पहुंच गए एवं योग एवं प्रार्थना से दिन की शुरुआत की | विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों को योग इंचार्ज मुक्ता श्रीवास्तव, रजनी सिंह एवं उत्तम सिंह द्वारा योग करवाया गया | साथ ही शिक्षकों ने विभिन्न आसनों का महत्व भी उन्हें बताया | आसन, प्राणायाम एवं योग के दौरान शिक्षकों ने सही मुद्रा, प्रक्रिया एवं शरीरिक स्थिति के लिए व्यक्तिगत रूप से बच्चों का सहयोग किया एवं उनका मनोबल बढ़ाया |

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शिक्षकों ने बताया कि हाल ही में सभी बच्चों को आवासीय कार्यक्रम ‘अनुभव’ के दौरान योग सिखाया गया है एवं समय-समय पर सामूहिक रूप से वे आसन, प्राणायाम एवं हठ योग का अभ्यास करते हैं | योग अभ्यास के पश्चात् बच्चे अपनी-अपनी रूचि के अनुसार टिंकरिंग, खेल एवं नृत्य-संगीत संगीत वाले समूहों से जुड़ गये | आधारशिला विद्या मंदिर में हाल ही में ‘अटल टिंकरिंग लैब’ की शुरुआत की गयी है एवं इस लैब में बच्चे बहुत ही सरल तरीके से मशीनों एवं तकनीक के बारे में सीखते हैं | आज उन्होंने ‘प्रॉब्लम सोल्विंग’ से संबंधित कई खेल खेले | छोटे-छोटे समूह में आयोजित इन खेलों में शिक्षक भी उनके साथ रहे एवं उनका मार्गदर्शन किया |
स्पोर्ट्स वाले समूह में बच्चों ने क्रिकेट, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल एवं हैंडबॉल खेला | लड़कियों ने भी विभिन्न खेलों में खूब रूचि दिखाई एवं विभिन्न आयु वर्गों में वे भी फुटबॉल, बैडमिंटन, हैंडबॉल एवं अन्य खेलों का अभ्यास करती नज़र आई |
डांस क्लास में बच्चों को बहुत ही सहज वातावरण में अलग-अलग गानों पर अभ्यास करवाया गया | सर्वप्रथम, बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ डांस के छोटे-छोटे स्टेप्स सीखे, फिर धीरे-धीरे उन्होंने लयबद्धता के साथ पूरे गाने पर नृत्य करना सीख लिया | इस पूरी गतिविधि में छोटे और बड़े बच्चों ने साथ-साथ नृत्य किया और उनकी आपस में खूब दोस्ती एवं सहयोग की भावना विकसित हुयी |

विद्यालय के चेयरमैन डा. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों की अभिव्यक्ति, समानुभूति, समूह कार्य एवं नेतृत्व कौशलों पर कार्य किया गया | इस तरह के अनौपचारिक वातावरण में शिक्षण से जीवन कौशलों का विकास होता है | बहुत सरल तरीके से समझें तो कोई भी संस्था या कॉर्पोरेट व्यवस्था यह चाहती है कि वहां कार्य करने वाले कर्मचारी न सिर्फ उपयुक्त कौशलों के साथ आयें बल्कि एक खुश व्यक्ति भी हो व अन्य लोगों के साथ रहना जानता हो |

विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती जी. आर मधुलिका ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए शिक्षकों एवं बच्चों ने काफी उत्साह दिखाया | इससे शिक्षकों को बच्चों को व्यक्तिगत तौर पर समझने का अवसर मिला | आने वाले समय में हम छोटे बच्चों के लिए विशेष खेल, कविता, क्विज एवं पपेट शो एवं बड़े बच्चों के लिए पब्लिक स्पीकिंग, क्रिएटिव राइटिंग, पर्यावरण, स्वास्थ्य आदि से संबंधित सत्रों को शामिल करेंगे।

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