अनुभव नहीं..योग्यता भी नहीं…फिर भी बना दिया परीक्षा नियंत्रक…अटल विश्वविद्यालय का नया कारनामा…नियुक्ति में वरिष्ठ प्राध्यापकों की अनदेखी

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

बिलासपुर— अटल विश्वविद्यालय और विवाद एक दूसरे के पूरक है। विश्वविद्यालय से एक बार फिर भर्राशाही का नया मामला सामने आया है। प्रबंधन ने विज्ञापन शर्तो के खिलाफ जाते हुए बहुत ही जूनियर को परीक्षा नियंत्रक बना दिया है। मामले को लेकर विश्वविद्यालय से जुड़े वरिष्ठ प्राध्यपकों की नाराजगी भी सामने आ रही है। कुछ प्राध्यापकों ने तो प्रबंधन से लिखित शिकायत कर नए परीक्षा नियंत्रक की प्रतिनियुक्ति पर सवाल उठाया है। कुछ प्राध्यपकों की माने तो शिकायत राज्यपाल से करेंगे। जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे।

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जानकारी देते चलें कि साल 2012 में अटल विश्वविद्यालय प्रबंधन ने परीक्षा नियंत्रक पद के लिए विज्ञापन जारी किया। किन्ही कारणों से तात्कालीन समय परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति नहीं हुई। लम्बे समय और प्रक्रिया के बाद 2023 के पिछले महीने में परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति हुई है। प्रतिनियुक्ति को लेकर प्राध्यापकों में आक्रोश है।

परीक्षा नियंत्रक नियुक्ति में धांधली

कुछ प्राध्यापकों ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रति नियुक्ति में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया है। सबसे जूनियर प्रोफेसर को परीक्षा नियंत्रक के पद पर प्रति नियुक्त करते समय मानकों माखौल उड़ाया गया है। साथ ही वरिष्ठ प्राध्यापकों को चुनौती भी है।

 विज्ञापन में जारी शर्तों के अनुसार विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक के लिए ना केवल अच्छा खासा अनुभव की जरूरत  होती है। बल्कि आवेदक को 9000 पेग्रेड का होना जरूरी है। साथ ही आवेदक का विवाद रहित होना भी जरूरी है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रबंधन ने ऐसे व्यक्ति को परीक्षा नियंत्रक का जिम्मा थमा दिया। जो ना केवल विवादित है..बल्कि  केन्द्र स्तर पर भी परीक्षा संचालन का अनुभव नहीं है।

अनुभवहीन जूनियर को प्रबंधन ने बनाया परीक्षा नियंत्रक

 विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्राध्यापक के अनुसार नव नियुक्त परीक्षा नियंत्रक बहुत जूनियर है। परीक्षा नियंत्रक पद के लिए किसी भी शर्तों को पूरा भी नहीं करते है। पद के लिए कई सीनियर प्राध्यपकों ने भी  आवेदन किया था। जो नियंत्रक पद की योग्यता भी रखते हैं। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नियम शर्तों के खिलाफ जाकर  6000 ग्रेड पे प्रोफेसर को परीक्षा नियंत्रक बनाया है। यह जानते हुए भी कि तरूणधर दीवान बहुत जूनियर हैं। जबकि उन्हे अब तक किसी भी परीक्षा केन्द्र संचालन का अनुभव भी नही है।

बिना B सर्टिफिकेट वालों C की अनुशंसा

साईंस कालेज में आईटी प्रोफेसर दीवान पर आरोप है कि उन्होने एनएसएस छात्रों को बिना बी सर्टिफिकेट योग्यता वालों को सी सर्टिफिकेट बांटने का अनुशंसा किया। तत्कालीन समय मामले को लेकर अच्छा खासा विवाद भी हुआ था। एनएसएस प्रभारी रहने के दौरान उन्होने एक भी कैम्प नहीं किया है। सीनियर प्राध्यपकों की माने तो दीवान ने अच्छी पकड़ का हमेशा फायदा उठाया। परीक्षा नियंत्रक नियुक्ति के समय भी ऐसा ही हुआ है।

हमेशा नियमों से किया खिलवाड़

कुछ सीनियर प्राध्यपाकों ने बताया कि वर्तमान नव नियुक्त परीक्षा नियंत्रक ने हमेशा नियम और शर्तों से  खिलवाड़ किया है। जूनियर होते हुए भी  कई परीक्षा कमेटियों के सदस्य बने। परीक्षा केन्द्र बनाने की सिफारिश भी किया… जहां आज भी परीक्षा केन्द्र खोला जाना उचित नहीं है। बावजूद इसके उन्हें विश्ववनिद्यालय का परीक्षा नियंत्रक बनाना समझ से परे है।

 राज्यपाल के सामने रखेंगे अपनी बात

बहरहाल विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एक बार फिर आ बैल मुझे मार की कहायवत को सच कर दिखाया है। बहुत ही जूनियर को परीक्षा नियंत्रक बनाकर सीनियर प्राध्यापकों को विरोध में खड़ा कर दिया है। सीनियर प्राध्यापकों की माने तो उन्होने प्रबंधन तक अपनी आवाज को पहुंचा दिया है। यदि आवाज को नहीं सुना गया तो राज्यपाल से शिकायत करेंगे। जरूरत पड़ी तो कोर्ट भी जाएंगे। विश्वविद्यालय की भर्राशाही को बर्दास्त नहीं करेंगे।

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