रेलवे चैयरमैन ने बताया..16 से यात्री गाड़ियां होंगी शुरू…संघर्ष समिति की स्टापेज मांग पर क्या बोले अध्यक्ष..पढ़ें खबर.क्यों नाराज हुआ प्रतिनिधि मण्डल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—रेलवे जोन संघर्ष समिति के पदाधिकारी और सदस्यों ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन कार्यालय पहुंचकर प्रवास पर पहुंचे रेलवे बोर्ड चैयरमैन से मुलाकात किया है। संघर्ष समिति प्रतिनिधि मंडल में शामिल छत्तीसगढ़ सरकार की संसदीय सचिव रश्मि आशीष सिंह, मेयर रामशरण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण चौहान, जिला सहकारी बैंक चैयरमैन प्रमोद नायक,प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय, प्रदेश कांग्रेस संगठन सचिव महेश दुबे, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव,जयपाल मुदलियार और बन्टी सोन्थालिया ने चैयरमैन के सामने यात्री गाड़ियों के परिवहन समेत बन्द स्टापेज को लेकर विस्तार से बातों को रखा। संघर्ष समिति ने दो टूक कहा कि पिछले 6 महीनों से रेलवे प्रशासन की गलत पालिसी ने गरीब मध्यमवर्गीय लोगों को तोड़ कर रख दिया है। दबाव बढ़ने पर रेल परिवहन की अनुमति को 24 घंटे के अन्दर निरस्त कर दिया जाता है। जनता हलाकान है। आखिर यह सब कोयले के नाम पर कब तक चलेंगा। 
अधिकारों को छीना गया
        नागरिक रेलवे  जोन संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल जोन प्रवास पर पहुंचे रेलवे बोर्ड चैयरमैन व्ही. के. त्रिपाठी से मुलाकात यात्री गाडियों को बन्द किए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर किया है। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि भारत में रेलवे आम आदमी के लिए सबसे सुलभ और सस्ता यातायात का साधन है।  रेलवे किरायों को आम जनता की पहुंच में रखने का उद्देश्य मात्र यह है कि आम आदमी और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी अपने रोजगार और अन्य आवश्यकताओं के लिए यात्रा कर सके।
 मौलिक अधिकारों का किया हनन
           संविधान में अनुच्छेद 19 (1) (ड)  मूलभूत अधिकार के तहत भारत सरकार नागरिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए सस्ता और सुलभ यातायात का साधन उपलब्ध कराये। रेलवे ने कभी भी यात्री किरायों से लाभ अर्जित करने को प्राथमिक उद्देश्य नहीं माना है। और सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर जनता की सेवा को केन्द्र में रखा है। लेकिन कोरोना काल के बाद भारतीय रेलवे ने यात्री सुविधाओं और यात्री गाड़ियों के परिचालन को प्राथमिकता सूची से गायब कर दिया है। छोटे स्टेशनों में बड़ी संख्या में रेलवे स्टापेज को बन्द कर दिया गया है। ऐसा किए जाने से छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों से बिलासपुर, रायपुर समेत अन्य स्थान तक परिवहन करने वालों का मानों हाथ पैर काट दिया गया है।
तुगलकी फरमान से रोजगार चौपट
       गाड़ियों के बन्द होने और स्टापेज खत्म किए जाने के बाद श्रमिक, यात्री, छोटे व्यापारी के अलावा फल, सब्जी, दूध की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है।रेलवे ने ऐसा कर बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छीन लियाहै। हालात यह है कि 100 साल से जिन ट्रेनों के स्टापेज हुआ करते थे। रेलवे ने एक आदेश जारी कर स्टापेज को बन्द कर दिया है। कई स्टेशनों पर जहां 10 से अधिक ट्रेनें रूका करती थी। आज की स्थिति में वहां एक या दो गाड़ियां ही रूकती हैं।
इसका मतलब कि जब चाहें रोक दें..
                     कोयला परिवहन को प्राथमिकता देते हुए आये दिन यात्री गाड़ियों को अचानक रद्द कर दिया जा रहा है।  महीनों से रिजर्वेशन कराये हुए यात्री या तो यात्रा रद्द करने का मजबूर हैं।  या फिर भारी भरकम रूपए खर्च कर अन्य साधनों से यात्रा कर रहे हैं। रेलवे ने तुगलकी फरमान जारी कर  छुट्टी और शादी-ब्याह के समय यात्री गाड़ियों को रद्द किया है। ऐसा किए जाने से पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। प्रतिनिधिमंडल ने चैयरमैन को बताया कि कोयले के परिवहन से रेलवे को भारी मुनाफा है। इसका मतलब यह नहीं कि यात्री गाड़ियों को रद्द कर दिया जाए।
 नहीं रोकी जाएंगी यात्री गाड़ियां
                                                    मुलाकात के बाद अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और संसदीय सचिव ने बताया कि चैयरमैन ने आश्वासन दिया है कि 16 जुलाई से यथासंभव सभी यात्री गाड़ियों का परिवहन शुरू हो जाएगा। चैयरमैन ने चिन्ता को वाजिब बताया। उन्होने कहा कि कोयला परिवहन को लेकर अब यात्री गाड़ियों का परिचालन बन्द नहीं होगा। इस बात को लेकर भी आश्वासन दिया कि नए साल में कोयला कमी की स्थिति में  यात्री गाड़ियों को नहीं रोका  जाएगा।हम कोयला परिवहन के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करेंगे।
पूछा यह कैसी पालिसी
                बातचीत के दौरान चैयरमैन को संसदीय सचिव ने बताया कि जहां यात्री गाड़ियों का 100 साल से स्टापेज है। जोन ने उसे भी बिना सोचे समझे  बन्द कर दिया है। आखिर इसके पीछे पालिसी क्या है। इतना सुनते ही जीएम आलोक कुमार ने बात संभालने का प्रयास किया। आलोक की सफाई को प्रतिनिधिन मण्डल ने अस्वीकार करते हुए नाराजगी को जाहिर किया। रश्मि सिंह और सुदीप श्रीवास्तव ने दो टूक कहा कि हमारी मांग है कि कोरोना काल के पहले जो स्थिति थी उसे बहाल किया जाए। अन्यथा बिलासपुर की जनता सड़क पर उतरने को तैयार है।

हम देंगे सूची..सभी स्टापेज को करें बहाल

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              चैयरमैन ने बातों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि हम वस्तुस्थिति का जायजा लेंगे। हम चाहते हैं कि छोटे लेकिन महत्वपूर्म स्टेशन की सूची दैं। निरीक्षण और परामर्श के बाद बताए गए बन्द स्टापेज को बहाल किया जाए। रश्मि सिंह ने कहा कि हम ऐसे स्टेशनों की जानकारी ना केवल अपने लेटर पैड पर देंगे। बल्कि बन्द स्टेशनों पर कोरोना काल से पहले की स्थिति के अलावा किसी भी परामर्श को मानने के लिए मजबूर नहीं है।

जीएम पर बरसे प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य

              बातचीत के दौरान प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण चौहान ने बताया कि रेलवे का व्यवहार तानाशाही वाला है। करगी रोड में शांति पूर्ण प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ एक एक लाख का जुर्माना लगाया गया। जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। करीब डेढ़ दर्जन में एक दर्जन गाड़ियों का स्टापेज खत्म कर दिया गया है। आखिर गरीबों को मारा क्योंजा रहा है। यहां भी जीएम आलोक कुमार ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया। लेकिन प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य आपे से बाहर हो गए। सदस्यों ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में कोयले की सप्लाई के लिए छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया जा रहा है। यदि रेलवे प्रशासन अपनी छद्यम पालिसी से बाज नहीं आता है तो उग्र आंदोलन के लिए बिलासपुर की जनता मजबूर होगी।

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