बिलासपुर।हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि बिलासपुर एयरपोर्ट 4C श्रेणी में विस्तार के लिए सेना के पास पड़ी अनुपयोगी जमीन में से 200 एकड़ भूमि वापस लेने का प्रस्ताव अभिलंब रक्षा मंत्रालय को दें। समिति ने कहा है कि बिना यह भूमि उपलब्ध हुए बिलासपुर एयरपोर्ट में बोइंग और एअरबस जैसे विमान नहीं उतार पाएंगे और उत्तर छत्तीसगढ़ के लोगों को सही हवाई सुविधा नहीं मिल पाएगी। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बिलासपुर एयरपोर्ट का रनवे पंद्रह सौ मीटर लंबा है। इस रनवे पर 72 और 78 सीटर विमान ही वर्तमान में संचालित होते हैं। तथा बोइंग और एअरबस के लिए कम से कम 2300 मीटर का रन वे चाहिए। इसके अलावा बिलासपुर एयरपोर्ट 3C रहते हुए भी नाइट लैंडिंग के लिए आईएफआर उपकरणों की जरूरत है। यह उपकरण वर्तमान में जिस जमीन पर लगाए जाने हैं वह सब सेना/ रक्षा मंत्रालय के पास है। अर्थात जब तक सेना/ रक्षा मंत्रालय से आवश्यक 200 एकड़ जमीन वापस नहीं ली जाएगी तब तक बिलासपुर एयरपोर्ट का 4C में उन्नयन नहीं हो सकता और नाइट लैंडिंग भी नहीं हो सकती।
गौरतलब है कि 2010-11 में सेना के द्वारा छावनी और ट्रेनिंग सेंटर बनाने के नाम पर एयरपोर्ट के चारों तरफ 1012 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी। इस समय आर्मी के द्वारा यह कहा गया था कि वह बिलासपुर एयरपोर्ट को बड़े विमानों के लायक बनाएगी और यहां से नागरिकों को भी हवाई सुविधा उपलब्ध होगी। हालाकी 10 साल बाद यह स्पष्ट है कि सेना के द्वारा अपना प्रोजेक्ट निरस्त कर दिया गया है। इस स्थिति में एक 1012 एकड़ भूमि पूरी तरह अनुपयोगी पड़ी हुई है। राज्य सरकार अधिग्रहण के 5 साल बाद भी उपयोग में ना लाने पर उक्त भूमि का अधिग्रहण निरस्त कर सकती है और यदि वह ऐसा ना करना चाहे तब भी 200 एकड़ जमीन सेना/रक्षा मंत्रालय से वापस लेकर एयरपोर्ट विस्तार के लिए दे सकती है। उपरोक्त स्थिति में हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति राज्य सरकार से यह मांग की है कि बिलासपुर एयरपोर्ट 4C श्रेणी में विस्तार के लिए आवश्यक 200 एकड़ जमीन तुरंत उपलब्ध कराने की कार्रवाई करें।