बेटी ने थमाया रजिस्टर…और बन गयी किताब….पुष्पलता की कहानियों पर बोले वरिष्ठ पत्रकार रूद्र…पढ़ने से मजबूत होंगे रिश्ते

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—रविवार को वरिष्ठ कहानीकार पुष्पलता गुप्ता के कहानी संग्रह “नई दिशा एवं अन्य कहानियां” का विमोचन बिलासपुर प्रेस क्लब में हुआ। मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रूद्र अवस्थी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार रामकुमार तिवारी ने की।

मुख्य अतिथि अवस्थी ने कहा कि पुष्पलता की किताब की कुछ कहानियां उन्होंने पढ़ी हैं। अस्तित्व कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में जब रिश्तों में बिखराव होने लगा है। ऐसे समय में इस कहानी को पढ़ने वाले के रिश्ते और मजबूत होंगे। उन्होंने सतना की ज्ञानवती अवस्थी के रामायण गाने की शैली का जिक्र करते हुए कहा कि वर्षों बाद भी उनकी बातें उन्हें याद है। इसी तरह जिस तरह से छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से कहानीकार ने अपने शब्दों को पिराेया है।  पढ़ने वालों को हमेशा याद रहेंगी।

इस तरह की रचनाओं को पढ़ने से संबंध मजबूत होते हैं। कहानी अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इंसानियत के जख्म कहानी के बारे में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार अवस्थी ने कहा कि जिस तरह आज समाज धर्म और जाति में बंटा हुआ है। उसमें इस कहानी में रहीम चाचा का किरदार यह बताता है कि हमें कैसे जीना चाहिए। यह लेखक का ही नजरिया हो सकता है जिसमें हम सही और गलत में भेद कर सकते हैं।

कार्यक्रम के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आयोजन कई मायनों में बड़ा है। पुष्पलता की कहानियों में ज्यादा सांस लेता हुआ इतिहास दर्ज है। उनकी कहानियां सही मायने में भारतीय कालखंड की प्रतिनिधि कहानियां है। पुष्पलता आजाद भारत में पैदा हुईं और उन्होंने अपनी कहानियों में नैतिक मूल्यों को रेखांकित करने का काम किया है। उन्होंने नई दिशा कहानी के संदर्भ में भी अपनी बात रखी। इस दौरान पुष्पलता ने अपने गीत की प्रस्तुति भी दी। पति राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने भी अपनी कविताओं का जिक्र करते हुए संगम को लेकर लिखी कविता को सुनाया।

कार्यक्रम का संचालन सुनील शर्मा ने किया। आभार मीतू गुप्ता ने प्रकट किया। इस दौरान सुधीर खंडेलवाल, शशि खंडेलवाल, डॉ सुंधाशु त्रिपाठी,गोल्डी त्रिपाठी,प्रतिभा अरोड़ा ,शुभदा जोगलेकर, निर्मला सिंह, दिंगबर भोई, मीतू गुप्ता, मोना गुप्ता, राजकुमार मिश्रा, इशरत सिद्दीकी, मो.आजाद सिद्दीकी, व्हीव्ही रमणा किरण, अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर आदि मौजूद थे।

20 कहानियां और 41 गीत

72 वर्षीय पुष्पलता गुप्ता की किताब “नई दिशा एवं अन्य कहानियां” में 20 कहानियां है। इनमें शीर्षक कहानी नई दिशा के साथ ही सवेरा, बेनाम जिंदगी, सार्थक शौक, संतोषी, पथरायी आंखे, वो पल, अम्मा, अस्तित्व, सार्थक दीपावली आदि कहानियां है। गीतों में इंतजार, इक सुबह, मेरे आंगन, हिन्दी, यादों का उपवन, बिदा, बरखा रानी आ जाओ, टुक-टुक, बचपन, मेरी गुड़िया, मेरी शाला, गुरू, नयी सदी, बीत गया जीवन, अनुशासन, गंगा, पुस्तक, किताबें आदि छोटे-छोटे गीत है।

बेटी ने रजिस्टर देकर हौंसला बढ़ाया और छपी किताब-पुष्पलता

पुष्पलता गुप्ता ने बताया कि उनका अधिकांश जीवन शैक्ष​णिक कार्यों में बीता। वर्षों तक छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाती रहीं। लेखन शुरू से ही आकर्षित करता था। समय-समय पर समाचार पत्र व पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहीं। रचनाओं को व्यवस्थित रखने में वे संजीदा नहीं थीं। पर बेटी ने एक रजिस्टर लाकर दिया और कहा कि अब अपनी रचनाओं को इसमें संकलित कीजिए। तभी से संग्रहित करना शुरू किया। और आज ये रचनाएं किताब के तौर पर आप सबके सामने हैं।

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