नहीं रहे निगम के पहले सभापति…पूर्व महापौर का हार्ट अटैक से निधन….अमर ने कहा…स्तब्ध हूं…बताया मेरी व्यक्तिगत क्षति

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— पूर्व महापौर और भाजपा नेता उमाशंकर जायसवाल का शाम करीब सवा बजे अपोलो में  इलाज के दौरान निधन हो गया है। उमाशंकर जायसवाल को दोपहर करीब 12 बजे के आसपास स्ट्रोक के बाद अपोलो में भर्ती किया गया था। अपोलो प्रबंधन के अनुसार इस दौरान  एक के बाद एक दिल का दौरा पड़ा। इमरजेंसी वार्ड में करीब तीन बार पूर्व महापौर को खतरे से लाया गया। लेकिन अंतिम स्ट्रोक के बाद उन्हें नहीं बचाया जा सका है। खबर मिलने के बाद दिल्ली प्रवास पर गए पूर्व मंत्री और नगर विधायक अमर अग्रवाल ने गहरा शोक जाहिर किया है। उन्होने कहा कि उमाशंकर जायसवाल की मौत उनकी निजी क्षति है। मैं खबर सुनने के बाद बहुत ही स्तब्ध हूं।

                  पूर्व महापौर उमांशकर जायसवाल की शनिवार को अपोलो में इलाज के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गयी है। बताया जा रहा है कि उन्हें दोपहर 12 बजे के बाद घर में अटैक आने के बाद भर्ती किया गया। इमरजेंसी वार्ड में कई बार अटैक की शिकायत पर उन्हें वापस लाने का प्रयास किया गया। लेकिन इस बार उमाशंकर मौत से बाजी हार गए।

जानकारी देते चलें कि पूर्व महापौर उमाशंकर जायसवाल को बिलासपुर नगर निगम का पहला सभापति होने का गर्व हासिल है। 1994 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें उप महापौर बनाया गया था। इस दौर में महापौर और उप महापौर का चुनाव पार्षदों के बीच से होता था। इसी बीच मध्यप्रदेश शासन ने नियमों में बदलाव कर उप महापौर के पद को खत्म करते हुए सभापति कर दिया। इस तरह उमाशंकर जायसवाल को निगम का पहला सभापति होने का गर्व हासिल हुआ।

पेशे से वकील उमाशंकर जायसवाल आरएसएस और भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। साल 1999 में पहली बार निगम महापौर का चुनाव सीधे जनता के बीच से हुआ। उन्होने कांग्रेस नेता बैजनाथ चन्द्राकर को हराकर पहले इलेक्टेड महापौर बनने का अवसर मिला। इसी दौरान साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। स्थानीय विधायक अमर अग्रवाल के साथ मिलकर बिलासपुर को विकास की पटरी पर लाने का श्रेय ऊमाशंकर को जाता है।

 महापौर रहने के दौरान ही उमाशंकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी के प्रभाव में आकर भाजपा में प्रवेश किया। कुछ साल फिर से भाजपा मे लौट आए। इसके बाद लगातार भाजपा के लिए तन मन से अपने को अर्पित किया। उमासंकर जायसवाल की अपने समाज में बड़ी हैसियत थी। अपने राजनैतिक जीवन में दो एक बार को छोड़ दिया जाए  तो कभी विवादित नहीं रहे। उन्हें अपने नगर से बेइंतहा प्यार था। यही कारण है कि उन्होने जो विकास की बुनियाद रखी…वह आज तक कायम है।

उमासंकर के निधन पर पूर्व मंत्री और नगर विधायक अमर अग्रवाल ने गहरा दुख प्रकट किया है। दिल्ली प्रवास से लौट रहे अमर अग्रवाल ने निधन की जानकारी के बाद बातचीत के दौरान गहरा दुख जाहिर किया है। उन्होने कहा कि मैने उम्मीदो भरा व्यक्तित्व खो दिया है। उनके निधन स्तब्धा करने वाला है। उनका जाना निजी क्षति है। ईश्वर मृत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे। अमर ने दुहराया कि समाचार के बाद कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हूूं।

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