निगम का बुलडोजर दीवाना होता है…किस अतिक्रमण को हटाना है किस घर को बचाना….निगम का जवाब नहीं..शपथ में कुछ…किया कुछ

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—निदा फाजली की ग़जल से एक पंक्ति है…बरसात का बादल तो दीवाना है..क्या जाने। किस राह से बचना है किस छत को भिगोना..दुनिया जिसे कहते हैं..जादू का खिलौना है….। खबर पर पूरी पंक्ति सटीक नहीं जमेगी .इसलिए इतना पर्याप्त है। और यह पंक्ति किसी पर ठीक ठाक जमे या नहीं जमे…लेकिन निगम पर सौ प्रतिशत जमेगी। हाईकोर्ट ने मिनोचा कालोनी स्थित मुख्य सड़क से लगे अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। और निगम का बुलडोजर आवारा बादलों की तरह किसी के घर पर जमकर बरसा तो किसी घर को छूकर निकल गया। सवाल उठता है कि क्या हाईकोर्ट ने ऐसा ही आदेश दिया था कि रसूखदारों के घर को छोड़कर बाकी बचे लोगों के घरों बुलडोजर चलाएं। शायद नहीं…लेकिन निगम प्रशासन के  बुलडोडर का जवाब नहीं…।

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रसूखदारों को बचाने का आरोप

करीब दस करोड़ की लागत से मुंगेली जाने वाली रोड स्थित महावीर नगर जाने वाली सड़क मोड़ से उस्लापुर ओव्हरब्रिज के बीच स्मार्ट सड़क का निर्माण कराया जाएगा। मिनोचा कालोनी के पास निगम प्रशासन ने कई किश्तों में रसूखदारों का बेजा कब्जा तोड़ा। इस दौरान निगम अधिकारियों को कई बार  कोर्ट का सामना भी करना पड़ा। सीमांकन भी कई बार हुआ। हर बार जरूरत के अनुसार निगम अधिकारियों ने सीमांकन के निशान में फेरबदल भी किया। इसके बाद किसी का ज्यादा तो किसी का कम कब्जा तोड़ा गया। कई दुकानों को निगम प्रसासन ने साफ ही कर दिया। लेकिन दुकानों से लगे रसूखदारों का घरों को छूना भी मुनासिब नहीं समझा। सिर्फ बाउन्ड्रीवाल तोड़कर अपना पल्ला साफ कर लिया। जबकि कोर्ट को निगम प्रशासन ने शपथ के साथ बताया भी है कि खसरा नम्बर 1552 में काबिज सभी लोगों का निर्माण तोड़ा जाएगा। लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ हुआ नहीं।

…इसलिए अब लोग निदा फाजली को जमकर गुनगुना रहे हैं कि …निगम का बुलडोजर तो दीवाना है..क्या जाने। किस घर को हटाना है किस घर को भिगोना है..दुनिया जिसे कहते हैं..जादू का खिलौना है ….।

 

अधिकारी ने बताया अतिक्रमण हटाने का काम पूरा

एक दिन पहले निगम अधिकारी सुरेश शर्मा की अगुवाई में मिनोचा कालोनी स्थित डीडी बजाज और संतोष सिंघानिया की बाउन्ड्रीवाल तोड़कर अतिक्रमण हटाने का काम पूरा होना बताया। लेकिन सच्चाई कुछ अलग ही है। निगम ने शपथ पत्र के साथ हाईकोर्ट को बताया है कि अभी अतिक्रमणारियों का कुछ हिस्सा ही हटाया गया है। बाकी निर्माण को जल्द ही हटा लिया जाएगा। बावजूद इसके चन्द रसूखदारों को निगम ने हजारों वर्गफिट जमीन अघोषित दान में दे दिया है। जबकि रसूखदारों के अगल बगल की जमीनों को निगम ने पूरी तरह से अतिक्रमण विहीन कर दिया है। चर्चा है कि निगम प्रशासन दबाव के कारण रसूखदारों के निर्माण पर हाथ डालने से बच रहा है। जबकि हाईकोर्ट ने सभी अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा है।

रसूखदारों के निर्माण को बचाने का पुरजोर प्रयास

हाईकोर्ट को दिए गए शपथ पत्र में निगम प्रशासन ने बताया है कि राजेन्द्र सिंघानिया, डीडी बजाज, संतोष सिंघानिया, कबीर चड्डा, आसमा बिल्डर, आशुतोष पाठक, पाटीदार भवन की बाउन्ड्रीवाल गार्डन, को हटा दिया गया है। किसी का पोर्च, किसी का मकान और किसी का स्टोर हटाया जाना बाकी है। कोर्ट को निगम ने यह भी बताया कि राजेश सिंघानिया को 70 फिट, बजाज का 150 फिट, संतोष सिंघानिया का 170 फिट, कबीर चड्डा का 144 फिट, आसमा बिल्डर का 58 फिट आशुतोष पाठक का 45 फिट, पाटीदार भवन 297 वर्ग फिट पर मकान का निर्माण है।

 जानकारी देते चलें कि हाईकोर्ट को दिए शपथ पत्र में आसमा बिल्डर ने निगम की जमीन पर पोर्च भवन के अलावा एक लिफ्ट भी लगाया है। जबकि निगम की जमीन पर ही आशुतोष पाठक का मकान, पाटीदार भवन का एक कमरा, कबीर चड्डा, संतोष सिंघानिया,राजेन्द्र सिंघानिया और डीडी बजाज की हवेली का कुछ हिस्सा अभी भी निगम की जमीन पर खड़ा है।

भवन अधिकारी ने बताया

नगर निगम भवन अधिकारी ने बताया कि जरूरत पड़ने पर निर्माण कार्य को तोड़ा जाएगा। आयुक्त के आदेश पर कार्रवाई होगी। जहां तक सवल बकाए अतिक्रमण हटाए जाने की है तो नाप जोखकर उसे भी हटाया जाएगा। निगम अधिकारी ने यह भी बताया कि आसमा बिल्डर का मकान अपनी जगह सही है। लेकिन उन्होने शपथ पत्र को लेकर कुछ भी नहीं कहा। 

मेयर ने कहा..किसी को बचाने या परेशान करना का सवाल नहीं

मामले में मेयर रामशरण यादव ने बताया कि सड़क बन जाने से शहर की यातायात व्यवस्था बेहतर होगी। एक तरफ से आना और दूसरी तरफ से जाना होगा। 9 करोड़ की लागत से सड़क निर्माम कार्य पुरा होगा। ठेकेदार की लापरवाही से काम धीमा हुआ है। हमने ठेकेदार को नोटिस जारी किया है। सड़क निर्माण कार्य जून में पूरा होना था..लेकिन हमे पूरा विश्वास है जुलाई तक सारा काम पूरा हो जाएगा।

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