बिलासपुर— अपोलो प्रबंधन ने एक दिन की नवजात बच्ची का सफल आपरेशन कर असंभव को संभव कर दिखाया है। डॉक्टर की टीम ने बताया कि इस प्रकार की बीमारी नवजात बच्चों में होता है। आपरेशन जटिल और मरीज के लिए काफी जोखिम भरा होता है। लेकिन अपोलो प्रबंधन ने इस बड़े आपरेशन को ना केवल सफलता के साथ अंजाम दिया। बल्कि सीने में फंसी अंतड़ियों को सही स्थान पर स्थापित भी किया है। डॉक्टरों ने बताया कि अब बच्ची को इस रोग से जीवन में कभी भी सामना नहीं करना पड़ेगा। चूंकि बच्ची का जन्म अपोलो में ही हुआ। इसलिए रोग को समय पर कपड़ने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है।
अपोलो ब्रबंधन ने प्रेसवार्ता में बताया कि एक दिन की नवजात बच्ची का सफल आपरेशन कर दुर्लभ बीमारी कंजेनिटल डायाफ्रामिक हर्निया यानि सीडीएच से बचाने में सफलता हासिल किया है। दुर्लभ बीमारी से बच्ची को जीवन भर ना तो सामना करना पड़ेगा। और ना ही किसी प्रकार की परेशानी ही होगी।
अपोलो ने किया अंसभव को संभव
डाक्टर सुनील कुमार ने बताया कि सीडीएस जन्मजात बिमारी है। गर्भस्थ शिशुर विकास के दौरान डायाफ्राम में एक छेद होता है। यह डायाफ्राम पेट और छाती को अलग करता है। धीरे धीरे डायफ्राम समेत अन्य अंगों और मांसपेशियों का विकास होता है। कभी कभी देखने में आता है कि भ्रुण विकास की प्रक्रिया में आंत्र, पेट या यकृत छाती गुहा में चला जाता है। छाती में में पेट के अंग विकसित होने लगते हैं। सीने में सीमित स्थान होने के कारण फेफड़ा दबने लगता है। और नवजात को सांस लेने में परेशानी होती है। बेबी फिरदौस के साथ भी ऐसा ही हुआ। सीडीएच के चलते स्थान नहीं होने के एक फेफड़ा संकुचित होने लगा। जिससे बेबी को जन्म के बाद सांस लेने के दौरान तकलीफ देखने को मिला।
क्यों होती है यह बीमारी
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