बिलासपुर– छत्तीसगढ़ शिक्षाकर्मी संविलियन के बाद भी कई मांगो को लेकर विरोध कर रहे हैं। लेकिन झारखण्ड पैरा शिक्षकों का मानना है कि यदि यहां कि सरकार छ्तीसगढ़ की तरह शिक्षकों का वेतन भत्ता और संविलियन का तोहफा दे तो राज्य के पैरा शिक्षक झारखण्ड सरकार को सिर आंखों पर बैठाने को तैयार हैं।
सचिव शिक्षक कल्याण समिति झारखंड ने बताया कि झारखंड में पैरा शिक्षको की आर्थिक हालात बेहद खराब है। एक पैरा शिक्षक का वेतन अधिकतम 10 हजार रूपए है। मिडिल स्कूल शिक्षकों का बहुत मामूली है। शिक्षकों को कभी भी नियमित वेतन नहीं दिया जाता। दो तीन कभी कभी पांच छः महीने बाद एक मुश्त राशि मिलती है। नियमित वेतन मिलना तो दूर का सपना जैसा है।
संगठन के सचिव रंजीत ने बताया कि छत्तीसगढ़ के शिक्षक अब राज्य सरकार के कर्मिचारी हो गए हैं। मामला प्रक्रियाधीन है। उनका पदनाम वेतन सब कुछ बदल गया है। वेतनमान अब राज्य कोषालय से आएगा। झारखंड पैरा शिक्षको को इस दिन का बेसब्री का इन्तजार है। इसके लिए हम लगातार सरकार से लड़ भी रहे है।
झारखंड शिक्षक कल्याण संघ नेता ने बताया कि झारखंड सरकार की एक टीम पैरा शिक्षको के वेतन भत्ते, अन्य सुविधाओं और प्रक्रियाओं का अध्ययन करने राजस्थान मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ पं बंगाल का दौरा करने वाली है। लेकिन हमें अच्छी तरह से जानकारी है कि झारखण्ड सरकार बिहार मॉडल को ही अपनाएगी। बिहार का मॉडल का मॉडल हमें कभी भी मंजूर नहीं होगा।
रंजीत जायसवाल शिक्षक कल्याण समिति प्रदेश सचिव झारंखड ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कैबिनेट में काफी बेहतर मॉडल पेश किया है। संविलियन ड्राफ्ट को समझने के बाद 70 हजार पैरा शिक्षक झारखंड सरकार पर सामूहिक सहमति के बाद दबाव बनाएगें। पैरा शिक्षक नेता का मानना है कि छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों को रमन सरकार ने संविलियन कर उनके जीवन से अंधियारे को हटा दिया है।