खेल अधिकारी का तुगलकी फरमान.. द्रोणाचार्य को किया परिसर से बाहर.. अभिभावकों में आक्रोश

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— होनहार तैराकों के माता पिता ने खेल सह संचालक प्रतिमा सागर पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। अभिभावकों ने बताया कि खेल अधिकारी जानबूझकर राष्ट्रीय स्तर के स्विमिंग कोच को ना केवल अपमानित कर रही है।बल्कि खेल परिसर में प्रवेश नहीं करने का मौखिक आदेश देकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

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                 तैराक बच्चों के अभिभावक खेल अधिकारी प्रतिमा सागर की शिकायत करने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। अभिभावकों ने बताया कि खेल अधिकारी प्रतिमा सागर की तुगलकी फरमान से  राज्य और राष्ट्रीय स्तर के तैराक बच्चों का करियर खतरे में पड़ गया है।

               राजेश साहू और सुनील गुप्ता के अनुसार खेल अधिकारी ने एक आदेश जारी कर करीब ढाई महीने पहले खेल परिसर स्थित स्वीमिंग पूल को बंद किया। जबकि अभी तक की जानकारी के अनुसार स्वीमिंग पूल एक महीने से अधिक समय तक बन्द नहीं रहा है। 20 फरवरी को स्वीमिंग पूल को खोला गया। खेल अधिकारी ने राजेश साहू  को तैराकी कोच और अयोध्या जायसवाल को प्रभारी बना दिया। उन्होने राष्ट्रीय स्तर के कोच विश्वजीत नाग को खेल परिसर प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

 

                     अभिभावकों ने जानकारी दी कि पेशे से शिक्षक विश्वजीत नाग के प्रशिक्षण से अब तक प्रदेश के 15 बच्चों ने देश में पताका फहराया है। मजेदार बात है कि यह सभी बच्चे विश्वजीत नाग के संरक्षण में तैराकी का हुनर सीखा है। विश्वजीत नाग की बच्ची राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी के क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व करती है। अभिभावकों के अनुसार प्रदेश में तैराकी के क्षेत्र में विश्वजीत नाग का नाम..सम्मान के साथ लिया जाता है। यह जानते हुए भी कि विश्वजीत नाग के संरक्षण में ही सृष्टी नाग ने देश में बिलासपुर और प्रदेश का नाम रोशन किया है।  प्रदेश सरकार ने सृष्टि नाग को शहीद राजीव पाण्डेय अवार्ड से सम्मानित भी किया है। बावजूद इसके उन्हें स्वीमिंग पूल से दूर रखना समझ से परे है।

                 अभिभावकों ने कहा कि इस समय विश्वजीत नाग के मार्गदर्शन में 15 बच्चे तैराकी का हुनर सीख रहे हैं। नए प्रभारी और कोच का मानना है कि सभी बच्चों का स्तर बहुत ऊंचा है। इस स्तर की तैराकी को सीखाना उनके लिए कठिन है। इसलिए हम चाहते हैं कि विश्वजीत नाग को तैराकी कोच की जिम्मेदारी देते हुए बच्चों के करियर से खिलवाड़ नहीं किया जाए।

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