झीरम काण्ड..20 अप्रैल को होगी अंतिम सुनवाई ..कोर्ट का आदेश.. मुदियार का पक्ष सुना जाएगा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—गुरूवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव और एनके व्यास की खण्डपीठ में झीरम घटना की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने झीरम घाटी केस में दरभा थाने में वृहत षड्यंत्र की जांच को लेकर एफआईआर दर्ज कराने और पक्षकार बनाने वाली आवेदन का निराकृत किया है। सुनवाई के दौरान एनआईए ने एफआईआर की जांच राज्य पुलिस से स्वम हस्तान्तरित करने की मांग की है। मामले में अंतिम सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
 
            जानकारी हो कि झीरम घाटी घटना की एनआईए जांच पूरी हो जाने के बाद ,जितेंद्र मुदलियार और अन्य पीडितों ने आरोप लगाया था कि एनआईए ने वृहत राजनैतिक षड्यंत्र की जांच नही की है। इस आधार पर मार्च 2016 की पूर्व की सरकार ने व्यापक जांच किए जाने को लेकर मामले को सीबीआई के हवाले किया। लेकिन 13 दिसम्बर 2016 को केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को बताया कि झीरम घाटी घटना में एनआईए की जांच पूरी हो चुकी है। अब आगे जांच की जरूरत नही है।
 
           दिसम्बर 2018 में नई सरकार ने मामले की जांच SIT के हवाले किया। एसआईटी ने एनआईए से केस डायरी दिए जाने की मांग की। लेकिन एनआईए और केंद्र सरकार ने केस डायरी वापस करने से इनकार कर दिया । 25 मई 2020 को जितेंद्र मुदलियार ने बस्तर पुलिस अधीक्षक को दी गयी लिखित शिकायत पर वृहत षड्यंत्र की जांच को लेकर दरभा थाने में एफआईआर दर्ज कराया। जून 2020 में एनआईए की विशेष अदालत में आवेदन लगाकर जांच स्टेट से ट्रांसफर करने की मांग की गयी। आवेदन को विशेष अदालत ने निरस्त कर दिया। इसके बाद एनआईए ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की । न्यायालय ने सुनवाई कर एफआईआर पर कार्यवाही से स्थगन दिया था।
 
               शिकायत कर्ता जितेंद्र मुदलियार ने अपने अधिवक्ताओ सुदीप श्रीवास्तव और संदीप दुबे की तरफ से हस्तक्षेप आवेदन दायर कर पक्ष पेश किए जाने का निवेदन किया। राज्य सरकार ने अपने जवाब के साथ स्थगन हटाये जाने का आवेदन दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जितेंद्र मुदलियार को राहत देते हुए पक्ष रखने की बात कही। मामले में अब अंतिम सुनवाई 20 अप्रैल को होगी। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने निर्धारित तारीख पर किसी कारण से सुनवाई स्थगित नही किए जाने का कोर्ट से निवेदन किया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एनआईए की तरफ से समय बढ़ाये जाने की मांग किए जाने पर राज्य की तरफ से दायर किये गए स्थगन हटाये जाने वाले आवेदन पर सुनवाई होगी। 
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