साफ्टवेयर में गड़बड़ झाला..या साजिश..पूर्व मंत्री ने पूछा..फिर हमारे बच्चे कहां जाएं..मुख्यमंत्री को लेना होगा संज्ञान..आयोग लीपा पोती से बाज आए

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ आयोग और शासन पर स्थानीय युवाओं के साथ किए जा रहे सौतेला व्यवहार पर नाराजगी जाहिर किया है। बृजमोहन ने बताया कि सर्कुलर के अनुसार राज्य शासन को शासकीय स्थानीय प्रतियोगियों को आयु सीमा में छूट दिया जाना जरूरी है। आयु सीमा में कटौती किसी भी सूरत में उचित नहीं है।
 
            बताते चलें कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग 2021 की प्रारंभिक परीक्षा 1 दिसंबर से 30 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए थे। विभिन्न विभागों के लिए कुल 171 पदों के लिए अधिसूचना 26 नवंबर को विज्ञापन के माध्यम से जारी हुआ। आवेदन पोर्टल के नवीनीकरण के बाद  अनेक लोगों को फार्म भरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रतिभागियों ने मामले में लोकसेवा आयोग को भी सूचित किया गया। बावजूद इसके आयोग ने शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। जिसके चलते फॉर्म भरने वालों की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है।
 
                 दरअसल साफ्टवेयर में खराबी के कारण आयु सीमा में छूट चाहने वाले आवेदकों का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। ऑटो कैलकुलेशन मोड़ पर होने के कारण साफ्टवेयर ने सैकड़ों हजारों लोगों का आवेदन रिजेक्ट कर दिया।
 
           सामान्य वर्ग के मूलनिवासी शासकीय सेवकों डोमोसाइल आधारित  5 वर्ष की छूट को साफ्टवेयर गणना नहीं कर रहा है। जिसके चलते बड़ी संख्या में 38 वर्ष की आयु सीमा में ही सामान्य वर्ग के मूल निवासी शासकीय सेवकों का आवेदन जमा नहीं हुआ। जबकि व्यापम ने हाल फिलहाल आयोजित भर्ती परीक्षा में मूलनिवासी की छूट को जोड़कर कर 43 साल और अन्य छूट को मिलकर 45 साल तक के आवेदकों को परीक्षा में शामिल होने का निर्देश दिया है। लेकिन लोकसेवा आयोग के पोर्टल सॉफ्टवेयर में गड़ब़ड़़ी के कारण हजारों की संख्या में शासकीय स्थानीय मूल निवासी आवेदन करने से चूक गए। बावजूद इसके आयोग अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। उल्टा शिकायत के बाद आयोग ने तर्क दिया कि केवल शिक्षित बेरोजगारों को ही मूलनिवासी की छूट दिए जाने का नया प्रावधान है। आयोग की इस विरोधाभासी तर्क के लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। 
 
फिर राज्य के लड़को को कहां मिलेगी छूट
                    मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्वमंत्री बृजमोहन ने दुख और चिंता एक साथ जाहिर किया है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को बच्चों के भविष्य को देखते हुए समस्या का हल निकालना चाहिए। सीजी वाल से बातचीत के दौरान  पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आयु सीमा में कटौती के लिए छत्तीसगढ़ शासन जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री के पास सामान्य प्रशासन विभाग है। उन्हें आवश्यक निर्देश जारी करना चाहिए। युवाओं के हितों का संरक्षण हो सके। शासन को सोचना चाहिए कि छत्तीसगढ़ के युवा छत्तीसगढ़ में परीक्षा नहीं दिला पाएंगे तो किस राज्य में दिलाएंगे?
 
क्या कहता है राजपत्र
 
          राजपत्र में प्रकाशित राज्य सेवा मूल नियम में 2008 में भी शिक्षित बेरोजगार के आधार पर मूलनिवासी का निर्णय किया जाने का उल्लेख नहीं है। कंडिका 5 पात्रता संबंधी शर्तें (ग)  आयु  न्यूनतम 21 वर्ष में अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष निर्धारित की गई है। 30/1-2019 के परिपत्र क्रमांक F-3-2/ 2015/1–3 अनुसार स्थानी निवासियों को उच्चतम आयु सीमा पर 5 वर्ष की छूट उच्चतम आयु सीमा 35 वर्ष में 5 वर्ष की छूट प्रदान की गई है। कंडिका 15 में राज्य के स्थाई अस्थाई शासकीय सेवकों के लिए अधिकतम 8 वर्ष की छूट का प्रावधान है। राज्य सेवा परीक्षा नियम मैं कहीं भी शिक्षित बेरोजगार को ही या छूट दिए जाने का उल्लेख नहीं है। राज्य में अन्य भर्ती एजेंसियों के माध्यम से ली जा रही परीक्षाओं में शासकीय सेवकों को दोनों तरफ से छूट जोड़कर 43 वर्ष की आयु तक परीक्षा देने की अनुमति है।
 
पोर्टल में प्रॉब्लम बरकरार
 
       असिस्टेंट डायरेक्टर हथकरघा और असिस्टेंट डायरेक्टर रेशम के पदों के लिए विशेष भर्ती परीक्षा के लुए 25- 12 से 23 जनवरी तक आवेदन तिथि निर्धारित की गई थी। लेकिन इन परीक्षाओं के फार्म ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया में उपलब्ध नहीं होने से भरे नहीं जा सकते हैं। पोर्टल पर संबंधित परीक्षा के विंडो पर क्लिक करने से मेडिकल सर्विस का विकल्प सामने आ रहा है। पीएससी के फॉर्म में महिला प्रत्याशी विधवा तलाकशुदा है उनके संबंध में कॉलम नही रखा गया है। आवेदन दो बार के बिना कंप्लीट नहीं होता। शिक्षा नागरिकता पदों की जानकारी संबंधित अनेक कालम बीच बीच मे गायब हो जाते हैं।
 
बंद है सारी सम्पर्क लाइन, अफसर नही उठाते फोन
 
 मालूम हो कि आयोग ने प्रतिभागियों या आवेदकर्ताओं को आने वाली परेशानियों को ध्यान में रखकर टोल नम्बर जारी किया। ताकि लोग अपनी समस्याओ के बारे में जानकारी ले सके। जबकि फोन नम्बर 0771 233 1204 अस्तित्व में नहीं है।  इसी प्रकार से पीएससी सचिव  समेत जितने भी नंबर वेबसाइट में दिए गए हैं। अस्तित्व में नहीं  होना बताया जा रहा है । हेल्पलाइन पर अगर फोन लग गया तो भी समस्या का निदान नही होता है। अधिकारी तो फोन उठाते ही नहीं है।
 
फॉर्म बढ़ने की अंतिम तिथि बढ़ी
 
     छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की तुगलकी कार्यशैली से मुख्य विज्ञापन के प्रति भी लोगों का रुझान बहुत कम है। 2021 लोकसेवा  परीक्षा के लिए भी आवेदन की संख्या में पूर्व के वर्षो की तुलना में गिरावट आना बताया जा रहा है। शायद यही कारण है कि आयोग ने परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि को बढ़ाया है।  प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन की तिथि 30 दिसंबर से बढ़ाकर 6 जनवरी कर दिया गया है।
 
अधर में स्थानीय निवासी शासकीय सेवकों की  आयु सीमा छूट
 
 आयु सीमा मामले  के संबंध में आयोग के अफसरों में चुप्पी है। सामान्य प्रशासन विभाग से जारी सर्कुलर के अनुसार परीक्षा विज्ञापन किया जाना बताकर समस्या से पीएससी ने अपना  पल्ला झाड़ लिया है। जबकि मुख्य त्रुटि की ओर आयोग का ध्यान नहीं जा रहा है।
 
सॉफ्टवेयर बनाने वाले कंप्यूटर प्रोग्रामर विशेषज्ञ क्या कहा
 
साफ्टवेयर बनाने वाले विशेषज्ञ के अनुसार संभव है कि नए सॉफ्टवेयर में एज मैट्रिक्स के विंडो में आयु सीमा में छूट का इंटरफेज इनेबल नहीं हो। जिसके चलते सामान्य वर्ग के शासकीय सेवक जो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं उन्हें  बाहरी राज्य का मानते हुए आयु  सीमा में गणना किया जा रहा हो। यही कारण है कि भरे जा रहे आवेदन निरस्त हो रहे हैं।
 
 आयोग दे रहा जीएडी पत्र का हवाला
 
         स्थानीय मूल निवासियों को केवल शिक्षित बेरोजगारी के आधार पर मूलनिवासी की 5 वर्ष की छूट देने का नियम बता कर  शासन की बदनामी अलग करा रहे है।  जबकि जीएडी के नियम स्पष्ट है ।  इसी आधार पर व्यापम और विधि विभाग और अन्य भर्तियो में स्थानीय निवासी शासकीय सेवकों की आयु सीमा में है। लोकसेवा परीक्षा 2020 में  भी इसी प्रकार की गलती सामने आई थी।  जिसे आनन-फानन में सुधारा गया था।
 
          मालूम हो कि सीजी पीएससी में सामान्य वर्ग के शासकीय सेवकों की डोमिसाइल छूट को खत्म कर 38 वर्ष की आयु में ही परीक्षा से रोक देने के मामले में प्रभावित प्रतिभागियों ने राज भवन और मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि पूर्व के वर्षों की ही तरह छूट को बहाल किया जाए। 
 
       बहरहाल मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की छूट को लेकर शासन स्तर पर ठोस पहल होते नही दिखाई दे रही है। लेकिन परीक्षा फार्म भरने की तिथि बढ़ने से कयास लगाए जा रहा हैं कि विभिन्न मीडिया मंच और कर्मचारी संगठनों की अपील पर आने वाले दिनों में मामले में सकारात्मक निर्णय सामने आए।
 
            राज्य में ऐसा पहली बार होगा जब सामान्य वर्ग के राज्य के मूल निवासी जो शासकीय सेवा में है उन्हें मिलने वाली  छूट..शासन ने देने से इँकार किया है।

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