विनोद खन्ना ने ओशो को समझा ही नहीं…मनीष मिश्रा

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IMG-20170214-WA0359बिलासपुर— प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार और फिल्म अभिनेता मनीष मिश्रा ने बताया कि ओशो समग्र हैं। जिसने ओशो को पाया वह सब कुछ पा लिया। समग्रता का नाम ओशो है। मुझ जैसे कलाकार को ओशो के चिंतन ने सब कुछ दिया। आज मैं जो कुछ भी हूं ओशो के शरण में जाने के बाद ही बना हूं। मनीष मिश्रा ने कहा कि मैं बिलासपुर को बताउंगा कि ओशो चिंतन क्या है। यदि मैने स्टेज से जनता को झूमने के लिए मजबूर नहीं किया तो यह मेरी बहुत बड़ी असफलता होगी। क्योंकि नृत्य में ही आनंद है। आनंद में ही सब कुछ है। इस दौरान फिल्म अभिनेता ने ओशो और अपने जीवन से जु़ड़ सवालों का बहुत सहजता से उत्तर दिया।

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                        मनीष शर्मा ने बताया कि मेै फरीदाबाद हरियाणा का रहने वाला हूं। भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ से प्रशिक्षित हुआ। बाद में एनएसडी में तीन साल तक रंगमंच किया। इस दौरान देश के कई कलाकारों से स्टेज शेयर किया। इस दौरान मुझे ओशो चिंतन से जुड़ने का अवसर मिला। इसके बाद मेरे अभिनय और प्रदर्शन में निखार आया। मनोज ने बताया कि ओशो से जुड़ने के बाद महसूस किया कि जीवन ही रंगमंच है। सभी लोग अपने हिसाब से अपना रोल प्ले करते हैं। मुझे अभिनय की गहराई में जाने का अवसर ओशो विचारधार से जुड़ने के बाद ही मिला।

      मनीष मिश्रा ने बताया कि ओशो को मानने और समझने वाले हर हाल में खुश रहते हैं। उन्हे प्यार जज्बात,इश्क,लव और अन्य विधाओं की अच्छी जानकारी होती है। क्योंकि ओशो ने सभी काम दिल से किया। आश्चर्य की बात है कि आखिर ओशो के बारे में इतना दुष्प्रचार क्यों। संभोग से समाधि तक एक मात्र ऐसी किताब है जिसमें ओशो के व्यक्तित्व और दर्शन को गहराई से पेश किया गया है। लेकिन लोगों ने मात्र टायटल पढ़कर किताब को अश्लील बताया। सच्चाई तो यह है कि ना पढ़ने वालों ने ही ओशो के जीवन पर ज्यादा विचार रखे हैं। लेकिन जिसने ओशो की इस किताब को पढ़ा वह ओशो का होकर रह गया।

                                मनीष मिश्रा ने पत्रकारों के सवालो का जवाब देते हुए कहा कि अभाव में कभी ध्यान नहीं लगाया जा सकता है। जब तक अभाव को खत्म नहीं किया जाता है। तब तक ध्यान नहीं संभव नहीं है। ओशो हमारे कृष्ण है और हम उनके गोपी। ओशो ने कभी अपने आपको या फिर शिष्यों को दायरे में बांधकर नहीं रखा। उन्होने सभी धर्मों का सम्मान किया। जरूरत पड़ी तो सबकी बुराइयों पर जमकर बोला। कठमुल्लों,पंडितों पादरियों ने ही ओशो के खिलाफ षड़यंत्र किया। उन्हें बदनाम करने की साजिस की। मनीष ने बताया कि विनोद खन्ना ने ओशो से दूर हटकर बहुत बड़ी गलती की। दरअसल उन्होने ओशो को कभी समझा ही नहीं। या फिर उन्होने समझने का ही प्रयास नहीं किया।

               मनीष ने बताया कि ओशो ने कहा था कि कि मेरे महाप्रयाण के बाद मुझे मानने वाले कई गुटों में नजर आएंगे। ऐसा पहले भी होता रहा है। अब भी होगा। मै चाहकर भी इसे खत्म नहीं कर सकता हूं। उन्होने कहा कि धर्म को प्रदूषित करने वालों को ओशो ने कभी नहीं छोड़ा। ऐसे लोगों ने ही औशो को गलत ठंग से समाज के सामने पेश किया है। रंगमंच कलाकार ने बताया कि मैं..बिलासपुर में…अभिनय से सत्य तक….नाटक पेश करूंगा। नाटक के जरिए सत्य और प्रेम के मर्म को ना केवल समझाउंगा। बल्कि मंंचन से जन-जन को नाचने के लिए मजबूर भी कर दूंगा।

                          अपने जीवन पर पूछे गए सवाल पर मनीष ने बताया कि मैने मंगल पाण्डेय,मै माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं.चोट,हमदम के अलावा अन्य फिल्मेों में काम किया हूं। मुझे सलीम सुलेमान के साथ अल्लाह हो अखबर अलबम में काम करने का अवसर मिला। कविता के साथ सूफी गायन किया। साबरी बन्धुओं के साथ भी काम करने का अवसर मिला। मेरा खुद का रूही सूफी बैण्ड है। बैण्ड से नामचीन कलाकर जुड़े हैं।

                   प्रेस वार्ता में रोहति वाजपेयी और नरेन्द्र गुप्ता भी मौजूद थे।

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