कोरोना काल में शिक्षा जगत के नायक बने अभिलाष,श्वेता..राज्य कार्यालय ने दिया कालम में स्थान.शिक्षकों में खुशी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर/ भाटापारा—-शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग को लेकर हाई स्कूल बिटकुली व्याख्याता अबिलाष तिवारी इन दिनों खासे सुर्खियों में हैं। अभिलाष तिवारी के पठन पाठन को हाई स्कूल स्तर के बच्चों में जमकर पसंद किया जा रहा है। विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम को अभिलाष तिवारी रोचक अंदाज में कुछ इस तरह से पेश करते हैं कि जिसे भूलना बच्चों के लिए नामुमकिन है। कुछ ऐसा ही मामला मिडिल स्तर पर शासकीय पंचम दीवान पूर्व माध्यमिक शाला की शिक्षा सारथी श्वेता मिश्रा का भी है। दोनों शिक्षक थ्री डी एनिमेशन तकनीक से बोरियत भरे क्लास को बच्चों के लिए रोचक बना दिया है।  
 
                     कोरोना काल की चुनौती की घड़ी में बच्चों के शिक्षण के लिए शासन स्तर पर  विशेष प्रयास किया जा रहे हैं। एससीईआरटी की पढ़ाई तुहर अभियान के जरिए सभी शिक्षक रोचक अंदाज में कक्षाएं ले रहे हैं। लेकिन भाटापारा विकासखण्ड के शिक्षक, शिक्षिका अभिलाष तिवारी और श्वेता तिवारी की बात ही अलग है। दोनों शिक्षकों की क्लास की लोकप्रियता अब क्लास से निकलकर जिले के बाहर तक पहुंच चुकी है। 
 
             भाटापारा शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों ने बताया कि श्वेता मिश्रा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पंचम दीवान में अध्यापन का काम करती है। मामले में श्वेता मिश्रा ने बताया कि शिक्षक शिल्पकार की तरह होता है। विद्यार्थियों के भविष्य को गढ़ता है। प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में ई लर्निंग, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन और 3 डी तकनीक को केन्द्र में रखकर हम बच्चों को शिक्षा से लगातार जोड़ने का प्रयास कर रहे है। खुशी है कि हम धीरे धीरे कामयाब हो भी रहे हैं। 
 
               बिटकुली हाई स्कूल के व्याख्याता अभिलाष तिवारी ने बताया कि वैज्ञानिक युग मे नित नवीन अविष्कार सामने आ रहे हैं। हमारे जीने का अंदाज भी बदला है। मतलब हम हाइटेक हो रहे है। शिक्षा को भी हाईटेक किया जाना किया जाना बहुत जरूरी है। हम आज भी परम्परागत शिक्षा के रास्ते में है। इसे तकनिकी से जोड़ना जरूरी है। कोरोना काल में हम यही कर रहे हैं। प्रयास को सफलता भी मिल रही है। बच्चों के सोचने समझने और तौर तरीकों में फर्क महसूस किया जा रहा है।
 
                कोरोना काल में शासन के निर्देश पर हमने बच्चों को पठन पाठन से जोड़ने के लिए अगुमेन्टेड रियलिटी का सहारा लिया। ऑगमेंटेड रियलिटी का अर्थ वास्तविक जैसा वातावरण करना है।  जिसका प्रयोग मोबाइल एप और कंप्यूटर के प्रयोग में होता है। एप के माध्यम से कुछ ऐसा माहौल तैयार किया जाता है कि बच्चों को स्कूल का वातावरण का अहसास होने लगता है। आसपास के वातावरण के साथ एक और आभासी दुनिया को जोड़ वर्चुअल दृश्य तैयार किया जाता है।जो देखने में बिल्कुल वास्तविक लगता है। 
 
             कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण बच्चों की विद्यालयीन शिक्षा जारी रखना काफी चुनौतीपूर्ण काम था। हमने  बच्चों में उपजी पढ़ाई की शून्यता या कमी को विभिन्न मॉड्ल और नवाचारों से पूरा करने का प्रयास किया है। 
 
                  अभिलाष तिवारी  ने बताया कि ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक से विज्ञान विषय का अध्यापन कार्य फायदेमंद होता है।कॉन्फ्रेंस कॉल, व्हाट्सएप विडियो कॉल के जरिए लाकडाउन के बाद बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने का हम सबने बीड़ा उठाया। प्रतिदिन 5 बच्चों को फोन लगाकर पढाना शुरू किया। देखते ही देखते बच्चों की संख्या बढने लगी। शिक्षक गण बच्चों की समस्या का निराकरण व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से देना शुरू कर दिया।
 
           अभिलाष ने जानकारी दी कि पढ़ई तुंहर दुआर  कार्यक्रम के तहत अब तक 267 ऑनलाइन क्लास ले चुके हैं। क्लास से अन्य जिलों के  विद्यार्थी भी लाभान्वित हो रहे हैं। प्रति सप्ताह विज्ञान विषय के विद्यार्थियों का ऑनलाइन क्विज का आयोजन कर पढ़ाई का आकलन भी करते हैं। इस दौरान बच्चों के  उत्साहवर्धन के लिए मोटिवेशन क्लास भी लेते हैं। 
 
              वहीं भाटापारा शिक्षा विभाग अभिलाष तिवारी और श्वेता तिवारी के कार्यों को लेकर उत्साहित है। यही कारण है कि राज्य कार्यालय ने दोनों अध्यापकों का चयन हमारे नायक शीर्षक में प्रेरणास्पद कहानी के लिए चयन किया। इस उपलब्धि को लेकर विकास खंड शिक्षा अधिकारी भास्कर देवांगन ,संकुल प्राचार्य ईश्वर देवदास, शाला प्राचार्य रमेश वर्मा और समन्वयक अखिलेश गिरी गोस्वामी ने गर्व जाहिर किया है।
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