बोन मैरो ट्रांसप्लांट…महंगा लेकिन जीवन रक्षक ईलाज…विशेषज्ञ डॉक्टर रेड्डी ने बताया…कैंसर ही नहीं सिकल सेल का सटीक उपचार

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बिलासपुर— भारत प्रसिद्ध मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ ढॉक्टर रेड्डी ने बताया निश्चित रूप से बोनमैरो ट्रांसप्लांट सिकल सेल और कैंसर के लिए सबसे सटीक ईलाज है। संभव है कि ईलाज के दौरान खर्च ज्यादा महसूस करें। लेकिन यह भी सच है कि समय रहते यदि पहचान के बाद सिकल सेल और कैंसर का सटीक ईलाज बोनमैरो ट्रांस प्लांट सेे संभव है। यह बातें पत्रकार वार्ता के दौरान अपोलो में चेन्नई से पहुंचे डॉक्टर रेड्डी ने कही। उन्होने बताया कि बोनमैरो ट्रांसप्लांट की दो अलग अलग प्रक्रिया है। दोनो ही प्रक्रिया में मरीज का ईलाज सफलता के साथ किया जाता है। खुशी की बात है कि बिलासपुर स्थित अपोलो में यह सुविधा ना केवल उपलब्ध है। बल्कि प्रदेश के लिए बहुत बड़ी खबर भी है।

  अपोलो में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जानकारी को लेकर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। पत्रकारों का भारत प्रसिद्ध बोनमैरो ट्रांसप्लांट विशेषत्र डॉ. रेड्डी ने सवालों का जवाब दिय। डॉ रेड्डी ने बताया सामान्य तौर पर, बच्चों में कैंसर असामान्य बात है। कैंसर पीड़ित बच्चों को विशेष ईलाज की जरूरत होती है। बड़ी बात है कि यह सुविधा अपोलो बिलासपुर में भी उपलब्ध है।

 कैंसर का बोनमैरो उपचार

 डॉ. राकेश रेड्डी ने बताया हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी रक्त से संबंधित कैंसर होता है। लोग ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा के नाम से परिचित हैं। अपोलो में हेमेटोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट का इलाज विशेष तकनीकि के जरिए विशेषज्ञ टीम करती है। बच्चों के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर को पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट कहा जाता है। इस डॉ.रेड्डी ने कैंसर के प्रकार के बारे में बताया। उन्होने जानकारी दिया कि कैंसर का कारण आनुवंशिकी भी होता है।

बोनमैरो प्रत्यारोपण..जीवन की नई उम्मीद

सवल जवाब के दौरान डा. रेड्डी ने बताया कि बोनमैरो ट्रांसप्लांट विशेष प्रकार की प्रक्रिया है। इसके तहत रोगी की डैमेज स्टेम सेल्स को स्वस्थ सेल्स से बदला जाता है। प्रतिस्थापन के बाद संक्रमण और विकारों को रोकने के लिए शरीर को पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स, WBC और प्लेटलेट्स का उत्पादन करने में मदद करता है। उन्होने जानकारी दिया कि बोन मैरो प्रत्यारोपण के अलग-अलग नाम हैं। इसे हम हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कहते है। बोन मैरो प्रत्यारोपण ब्लड कैंसर और रक्त संबंधी विकारों वाले व्यक्तियों के लिए जीवन रक्षक उपचार है। मरीज को ठीक होने में आमतौर पर 6 महीने से एक साल का समय लगता है।

सिकल सेल मरीजों के लिए नई उम्मीद

सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन के कारण होने वाली रक्त की एक  आनुवंशिक बीमारी है। असामान्य हीमोग्लोबिन के वजह से लाल रक्त कोशिकाएं सिकल के आकार की हो जाती हैं । रक्त में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। जिससे पीड़ित को एनीमिया की शिकायत होती है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया से इस ठीक किया जा सकता है।  हेप्लो आइडेंटिकल प्रक्रिया में डोनर माता-पिता या बच्चे  होते हैं। जबकि डोनर से स्टेम सेल्स इकट्ठा कर जरूरी दवाओं के साथ मरीज के शरीर में प्रवेश कराया जाता है। स्टेम सेल हृदय से होकर पूरे शरीर से बोन मैरो तक जाता है।  कई सत्र में यह प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। सभी सत्र पूरे होने तक सेंट्रल लाइन बरकरार रहती है।

जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट

डॉ.रेड्डी ने बताया कि बोन मेरो ट्रांसप्लांट यदि दस-बारह वर्षों के बीच बोनमैरो का ट्रांसप्लांट होता है तो सफलता की संभावना अधिक होती है। थैलेसीमिया,सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारिओं से ग्रसित बच्चों को कम से कम उम्र में ट्रांसप्लांट किया जाना ज्यादा उचित होता है। ल्यूकेमिया या एप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति में तत्काल बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रकिया शुरू किया जाता है।

 मील का पत्थर साबित

पत्रकार वार्ता के दौरान अपोलो हॉस्पिटल मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरनब स्मृति समेत मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता की विशेष उपस्थिति रही। डाक्टरो ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एनीमिया और  थेलेसीमिया के मरीजों की संख्या बहुत है। सिकल सेल की शिकायत एक समुदाय विशेष मैं ज्यादा देखा गया है। अंचल के मरीजों को होने वाली असुविधा के मद्देनजर अपोलो प्रबंधन का बोनमैरो ट्रांसप्लांट का फैसला मील का पत्थर साबित होगा।

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