बजटः मुख्यमंत्री ने पेश किया होलियाना बजट…जनसरोकार से अलहदा..जनता को फिर थमाया गया वादों का पुलिंदा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने सरकार के बजट को होलियाना बजट बताया। अमर ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि जन सरोकारों से कोसों दूर चुनावी वादों वाला बजट पेश किया गया है। बजट के पहले भरोसे के बजट का संदेश जारी कर ढिंढोरा पीटा गया। लेकिन बजट पढ़ने के बाद जनता को समझ में आ गया है कि सरकार की बुनियादी हकीकत और आर्थिक योजनाएं खोखली है।
 अमर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस वर्ष भी बजट की घोषणाएं विज्ञापन के होर्डिंग्स की तरह हैं। 112000 करोड़ से सभी बड़े बजटीय पिटारे में पचासी -नब्बे प्रतिशत कर्जे को बोझ है, प्रति व्यक्ति ऋण भार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। ब्याज में ही लगभग 500 करोड़ पर खर्च किए जा रहे है। वोट बैंक को लुभाना  सरकार की पहली प्राथमिकता है। अवसंरचना विकास के लिए सरकार की किए गए एमओयू का प्रोडक्शन रेट 33% से भी कम है। 
 अमर अग्रवाल ने कहा केंद्रीय करो से लगभग  50,000 करोड रुपए प्राप्ति से जाहिर हो गया है कि केंद्र प्रवर्तित योजनाओं और केंद्रीय सहायता से ही राज्य की आर्थिक गतिविधियां पिछले 5 वर्षों में संचालित हो रही है। 3 सालों में खुले बाजार से ऋण नहीं दिए जाने के बावजूद 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया है।  बावजूद इसके लोक कल्याण एवं विकासात्मक कार्य ठप्प पड़े हुए हैं।
बजट में युवाओं के साथ एक बार छल हुआ है। एक तरफ सरकार दावा करती है कि बेरोजगारी की दर शून्य से कम है। दूसरी तरफ लगभग 20 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं । सरकार ने 5 वर्षों में बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया। अब चुनावी साल में भत्ता देने की बात कर रही है। 
खेतिहर मजदूर और भूमिहीन श्रमिक को किया निराश
अमर अग्रवाल  ने कहा न्याय योजना के नाम पर प्रदेश में लूट का खेल चल रहा है। मनरेगा के तहत रोजगार 100 दिन का रोजगार दिलाने में भी सरकार फिसड्डी साबित हुई है । नए जिलों का निर्माण, पत्रकार सुरक्षा कानून, नियमित भर्ती, कार्मिकों की वेतन विसंगति,  अनियमित और संविदा कर्मियों के नियमतिकरण, केंद्र के बराबर राज्य के कर्मियों को डीए देने की मांग के भरोसे को बजट में स्थान नहीं दिया गया है। 2 साल के बकाया बोनस के बारे में और शराबबंदी के वादे पर सरकार मौन है।  सरकार के बजट में राज्य की आय के स्रोतों में वृद्धि करने के लिए कोई योजना नहीं है।  बजट में विश्वास तोड़ कर भरोसा जीतने वाली बात कही गयी है।
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