पूर्व मंत्री ने बताया सरकार के इस फैसले से वन्य प्राणियों के शिकार व अवैध कटाई के मामले बढ़ रहे

Shri Mi
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रायपुर।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने प्रदेश के अधिकांश वन परिक्षेत्रों में अब कनिष्ठ डिप्टी रेंजर को ही रेंजर का प्रभार सौंपे जाने पर प्रदेश सरकार और वन महकमे की कार्यप्रणाली पर निशाना साधा है। श्री गागड़ा ने कहा कि डिप्टी रेंजर्स को रेंजर का प्रभार सौंपने और पूर्णकालिक रेंजर्स में अधिकांश को उत्पादन एवं अन्य कार्यों में लगाने के इस तुग़लक़ी फ़रमान के पीछे प्रदेश सरकार की बदनीयती झलक रही है। श्री गागड़ा ने कहा कि विगत छह माह से प्रदेश के एक उच्च अधिकारी ने एक अभियान चलाकर रेंजर्स के स्थान पर फॉरेस्ट एवं डिप्टी रेंजर्स को प्रभार दे दिया है। इसके बाद से अब प्रदेशभर में वन संपदा के दोहन, वन्य प्राणियों के शिकार एवं अवैध कटाई के मामले बढ़ गए हैं।

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भाजपा नेता व पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि वर्तमान में रेंजर का प्रभार संभाल रहे अधिकांश डिप्टी रेंजर दैनिक वेतनभोगी से नियमित हुए और समय के साथ इन्हें प्रमोशन मिला। प्रमोशन में डिप्टी रेंजर बनने के बाद अब अपने राजनीतिक आकाओं की कृपा से वे प्रभारी रेंजर का पद संभाल रहे हैं जबकि बाकायदा प्रदेश वन सेवा की परीक्षा पास कर रेंजर बने अफसर अब अपनी पोस्टिंग के लिए चक्कर लगा रहे हैं। चयनित रेंजरों को मात्र उत्पादन या अन्य लूप लाइन में डालकर डिप्टी रेंजरों को प्रभार देने से इन्हें पदस्थ करने वाले उच्च अफसरों की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार खासकर वन मंत्रालय का हस्तक्षेप नहीं करना भी कहीं-न-कहीं पूरे मामले को संदिग्ध बना रहा है, क्योंकि प्रदेशभर में कोई 140 में से 112 रेंजर्स को उत्पादन व अन्य कार्यों में लगा दिया गया है, जहाँ उनके पास करने को कोई ख़ास काम ही नहीं है।

श्री गागड़ा ने आश्चर्य व्यक्त किया कि उच्च पदस्थ अधिकारी रेंजर्स की कमी के चलते डिप्टी रेंजर्स को प्रभार देने की दलील दे रहे हैं; जबकि प्रदेश के अनेक परिक्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ वर्षों से डिप्टी रेंजर का कार्य कर रहे अफसरों को दरकिनार कर नव पदोन्नत डिप्टी रेंजर्स को प्रभार दिया गया है जिसे लेकर संदेह के दायरे बढ़ रहे हैं। भाजपा नेता व पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश में डिप्टी रेंजरों को रेंजर का प्रभार देने के बाद वन्य क्षेत्रों में अपराध पर रोकथाम की रफ्तार काफी सुस्त हो गई है और इन क्षेत्रों के जंगल अब अफ़सरविहीन एवं अवैध गतिविधियों के लिए खुल-से गए हैं। श्री गागड़ा ने मांग की कि इन नियुक्तियों पर प्रदेश सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और पूर्व से कम होते जंगल को विनाश से बचाने आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए वरना प्रदेश में जंगलों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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