किसान संघ ने बताया…रामलीला मैदान में किसान करेंगे गर्जना…धीरेन्द्र ने बताया…किसानों से किया जा रहा छल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— भारतीय किसान संघ जिला ईकाई प्रमुख धीरेन्द्र दुबे ने बताया भारतीय किसान संघ प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी की अगुवाई में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय गर्जना रैली में शिरकत करेंगे।  रामलीला मैदान में आयोजित गर्जना रैली में देश के कोने कोने से पहुंचकर किसान अपनी मांग को ताकत के साथ पेश करेंगे। गर्जना रैली का आयोजन 19 दिसम्ब र को किया जाएगा।
 
                           भारतीय किसान संघ जिला प्रमुख धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि सरकार किसानों के साथ लाभ देने के नाम पर केवल छल कर रही है। उद्योग में बनने वाले उत्पाद में पूंजी निवेश रहता है। निवेश की  गणना लागत में की जाती है। इसमें भूमि, भवन, मशीनें, कच्चा माल आदि समेत कर्मचारियों का वेतन और  कार्यकारी मंडल का वेतन  शामिल होता है। कार्यकारी मंडल का वेतन निर्धारण उद्योगजगत ही करता है। यह वनेतन करोड़ों में होता है। जबकि इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। यह नियम किसानों के साथ होना चाहिए।
 
                   धीरेन्द्र ने बताया कि फसल का लागत मूल्य निकालते समय भूमि का किराया नहीं जोड़ा जाता है। ना ही किसान का पूंजी निवेश ही जोड़ा जाता है। यह जानते हुए भी कि औसत धान की फसल में 140 दिन लगते हैं। जब लागत निकाली जाती है तो उसमें किसान को केवल 40 दिन की मजदूरी ही जोड़ी जाती है। मजदूरी अकुशल श्रमिक के रूप में होती है।  जबकि किसान 140 दिन खेत  जाता है।  खेती में क्या आवश्यकता है इसका विचार कर प्रयोग करता है। बावजूद इसके किसानों की गणना अकुशल मजदूरी में किया जाना दुखद है। धीरेन्द्र ने बताया कि इसमें घर के सदस्यों की भी मजदूरी नहीं जोड़ी जाती है। जबकि उसका पूरा परिवार खेती में लगा रहता है।
 
                                  ऐसी आधी अधुरी गणना कर फसलों का लागत मुल्य निकाला जाना किसान के साथ अन्याय है। भारतीय किसान संघ की स्थापना काल से लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की मांग रही है।  जिस प्रकार महंगाई बढ़ी है उसके अनुरूप प्रधानमंत्री सम्मान निधि बढ़ाने की जरूरत है।
 
               इसके अलावा केन्द्र सरकार से हमारी मांग है कि किसानी के आदान पर लगने वाला जीएसटी को खत्म किया जाए। क्योंकि किसान अंतिम उपभोक्ता नहीं है। जिसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है।
 
                                 हाल फिलहाल देश में बड़ा भयंकर संकट आता नजर आ रहा है। इसकी जानकारी किसानों को भी नहीं है। धीरेन्द्र ने बताया कि देश की सरकारी संस्था जीईएसी यानि जेनेटिक इंजिनियरिंग एप्रेज़ल कमेटी..किसी भी नई फसल का शोध करता है। इसके बाद ट्रायल और उत्पादन की अनुमति देता है । इसी क्रम में जीईसी ने भारत में जीएम सरसों की अनुमति को हरी झण्डी दिखाया है। पर्यावरण मंत्रालय ने ट्रायल का आदेश दिया है। शोध रिपोर्ट आना अभी बाकी है। जीएम सरसों का क्या नुकसान हो सकता हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं है। बिना जानकारी ट्रायल खतरनाक साबित हो सकता है। 
 
                                भारतीय किसान संघ की मांग है कि केंद्र और देश की सभी  राज्य सरकार रिपोर्ट रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। इसके बाद ही फसल का ट्रायल उत्पादन करना चाहिए। क्योंकि खेती किसानी के साथ खिलवाड़ किया जाना ठीक नहीं है।
                    धीरेन्द्र ने बताया कि मामले में एक दिसम्बर दोपहर 2 बजे प्रेसवार्ता किया जाएगा। इस दौरान अखिल भारतीय कार्यकरणी सदस्य डॉ विशाल चंद्राकर ,प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी ,प्रदेश महामंत्री नवीन शेष , उपस्थित रहेंगे।
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