सोसायटियों में लटका ताला..हड़तालियों का भाजपा नेताओं का समर्थन.कहा..अलोकप्रिय सरकार के खिलाफ अब होगी सड़क की लड़ाई

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— भाजपा के किसान नेता शशिकांत ने प्रेसवार्ता कर बताया कि 24 जुलाई से कर्मचारी हड़ताल पर हैं। सरकार झुकने को तैयार नहीं है। सोसायटियों पर ताला लटका है। किसान खाद बीज के लिए भटक रहे हैं। 31 जुलाई तक किसानों को बीमा कराने की अंतिम तारीख है। बावजूद इसके सरकार मौन है। यदि सरकार कर्मचारियों की पांच सूत्रीय मांग को गंभीरता से नहीं लेती है। तो भाजपा नेता और किसान कर्मचारियों की लड़ाई सड़क पर लड़ने को मजबूर होंगे। इसका खामियाजा कांग्रेस सरकार को भुगतना होगा। 

.

               प्रेसवार्ता कर किसान नेता भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक शशिकान्त ने बताया कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश के सभी सोसायटियों पर ताला लटकाने की नौबत आ गयी है। इसके चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते धरतीपुत्र खाद, बीच को लेकर दर दर भटकने को मजबूर हैं।

       शशिकांत ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले साल की तुलना में इस बार सोसायटियों को कम खाद की आपूर्ति की है।ऐसा सिर्फ बिचौलियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। इस समय किसानों को फसल ऋण के लिए सोसायटी की एक मात्र सहारा है। लेकिन तालाबन्दी के चलते किसान साहूकारों से कर्ज लेने को मजबूर हैं।

                     शशिकांत ने कहा कि सहकारी समितियों के कर्मचारी लगातार पांच सूत्रीय मांग को लेकर सरकार को कई बार अवगत कराया। लेकिन सरकार ने कर्मचारियोंकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया। अन्ततः सभी कर्मचारियोंको हड़ताल पर जाना पड़ा है। किसान नेता ने जानकारी दी कि धान खरीदी नीति में स्पष्ट निर्देश है कि बफर लिमिट से ज्यादा धान होने पर 72 घंटे के अन्दर धान का परिवहन किया जाए। लेकिन सरकार की तरफ से नियमों का पालन नही किया जा रहा है।

             सोसायटी कर्मचारियों को अभी तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है। खाली पदों की भर्ती नहीं किया जा रहा है। कर्मचारियों की मांग है कि नियमित भर्ती को बहाल कर प्लेसमेन्ट भर्ती पर रोक लगाई जाए। सेवा नियमों में संशोधन के बावजूद आज तक अमल नहीं किया गया है। शशिकांत ने बताया कि हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि धान खरीदी नीति तैयार करते समय समिति में कर्मचारी संघ को  भी शामिल किया जाए।

                  किसान नेता ने कहा कि लगातार प्रयास के बाद भी सरकार ने जब कर्मचारियों की मांग को अनसुना किया तो उन्हें सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ा है। सरकार को हड़तालियों की जायज मांग को गंभीरता से लेना होगा। ऐसा किया जाना किसान हित में होगा। अन्यथा भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के नेता और किसान उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे।

close