टीचर कैसे बन गए मोबाइलमैन/पोस्टमैन.? स्कूलों मे ना इंटरनेट ना कम्प्यूटर,फ़िर भी हो रहा ऑनलाइन कामकाज,शिक्षा विभाग की मनमानी के ख़िलाफ़ आगे आया संगठन

Shri Mi
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रायपुर । छत्तीसगढ़ के सरक़ारी स्कूलों में शिक्षा विभाग की ओर से ना तो लैपटाप मुहैया कराया गया है और ना ही इंटरनेट कनेक्शन का इंतज़ाम किया गया है। लेकिन फ़िर भी तमाम स्कूलों के टीचर अपनी ड्यूटी के दौरान अपने मोब़ाइल और नेटवर्क के ज़रिए पूरे समय ऑनलाइन रहकर सूचनाएं भेजने के काम में ही लगे रहते हैं। शिक्षा विभाग उनसे इतनी जानकारियां मंगाता है कि स्कूल के टीचर मोबाइल मेन या डाकिया/ पोस्टमैन का क़िरदार निभा रहे हैं। शिक्षकों से वही जानकारी बार-बार मंगाई जाती है और कई तो ऐसी जानकारियां हैं, ज़िनका कोई व्यवहारिक उपयोग भी नहीं है।

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ज़ाहिर सी बात है कि इस क़वायद से स्कूलों में पढ़ाई-लिख़ाई चौपट़ हो रही है और तमाम शिक्षक अपने ही विभाग की पैदा की गई इस परेशानी से जूझ रहे हैं। इस तरह का आरोप शिक्षक नेता जाकेश साहू ने अपने एक प्रेसनोट में लगाया है। जिसमें कहा गया है कि राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को बेवजह मानसिक रूप से प्रताड़ित व परेशान किया जा रहा है । स्कूल अब स्कूल नहीं बल्कि सिर्फ डाक तार विभाग बन कर रह गया है। एक ही जानकारी को बार बार मंगा जाता है। स्कुलो में मरम्मत, स्टेशनरी एवं अन्य व्यय हेतु जो नाम मात्र का चार-पांच हजार रुपये आता भी है तो उसके व्यय की जानकारी एवं हिसाब वर्ष में कई बार मांगा जाता है। डाक इतने ज्यादा आ रहे कि सारे शिक्षकों का समय डाक बनाने में लग जा रहा है।

शिक्षक एलबी संवर्ग के प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू, ऋषी सिंहदेव राजपूत, भोजकुमार साहू, पुनीत चेलक, धरमदास बंजारे, विनोद मिश्रा, आजम खान, चेतन पटेल, कृष्णा साहू, दीपक कश्यप, धीरेंद्र साहू, बैजनाथ यादव, हरकेश भारती, देशन पटेल, ज्ञानेश्वर जामुल्कर सहित समस्त शिक्षकों ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा रोज रोज नित नए प्रयोग किए जा रहे है। आजकल शिक्षक गुरुजी न होकर मोबाइल मेन व डाकिया बन गया है। सारा कार्य मोबाइल से कराया जा रहा है । जिसके कारण शिक्षकों को दिनभर नेट चलाना पड़ रहा है, विभिन्न प्रकार की जानकारी दिनभर में कई कई बार प्रतिदिन आ रही है, वह भी तत्काल तत्काल जानकारी बनाकर मंगाया जा रहा है।

प्रेस नोट में बताया गया कि स्कूल से जुड़ी विभिन्न जानकारियां मोबाइल से ही अपलोड करना पड़ रहा है। दिनभर मोबाइल के इस्तेमाल से अधिकांश शिक्षकों को सिरदर्द, आंख दर्द, कान दर्द, बहरापन, आंखों के आगे अंधेरा छाना, दिमागी टेंशन, चिड़चिड़ा पन सहित नाना प्रकार की बीमारियां हो रही है।

शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित राज्य सरकार से उक्त सभी मामलों में तुरन्त हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि शिक्षकों को सिर्फ शिक्षक ही रहने दिया जाय । जिससे कि शिक्षक अपना पूरा समय बच्चों को पढ़ाने में लगा सके।

जाकेश ने विभाग को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि शिक्षकों से सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई लिखाई का ही कार्य कराया जाए । हमारी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है… न कि डाक बनाने और बाबूगिरी करने के लिए…। 2009 के शिक्षा विभाग के सेटअप में प्रभारी/प्रधान पाठकों को भी शिक्षक माना गया है । प्रधान पाठक की भी गिनती शिक्षकों में की जाती है । अतः शिक्षकों से अब बाबूगिरी का कार्य कतई नहीं कराया जा सकता।

जाकेश साहू ने सिलसिलेवार जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के किसी भी प्राइमरी स्कूल में शासन ने कम्प्यूटर व लैपटॉप की व्यवस्था नहीं की है । जबकि सारा कार्य ऑनलाइन करने का निर्देश दिया जाता है। पुराने सभी बैंक खातों की जगह अब सिर्फ एक ही बैंक विशेष में खाता खोलने के निर्देश दिए जा रहे है।
राज्य के हजारों व्याख्याताओं एवं कई हजार शिक्षकों को संकुल प्राचार्य एवं संकुल समन्वयक बनाकर विभागीय कार्यो को सौंप दिया गया है। जो पढ़ाई लिखाई को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ विभागीय कार्यो में लगे हुए है । जिससे सम्बन्धित स्कूलों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित हो रही है।
प्रदेश में चालीस हजार से अधिक संस्था प्रभारियों को दिन रात विभागीय कार्यो के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है । कार्य नहीं करने पर विभाग से निलम्बन अथवा विभागीय कार्यवाई की धमकियां दी जा रही है।दिन रात संकुलों के ग्रुप में हर वक्त विभागीय डाक आ रहे है, उक्त डाको को त्वरित बनाने हेतु दबाव बनाया जा रहा है। एक डाक बना नहीं कि दूसरा डाक पहुंच जाता है। अब प्रभारी शिक्षक सिर्फ डाक बनाने में लगे हुए है । जिससे पढ़ाई लिखाई पूरी तरह बर्बाद हो रही है।

शिक्षक नेता का कहना है कि परम्परागत पढ़ाई लिखाई का तरीका एवं परीक्षा पद्धति को बदलकर नया सिस्टम लागू किया गया है। परीक्षा के बाद पेपर चेक कर अंको को मोबाइल से अपलोड किया जाता है। शौचालय, किचन गार्डन, दिव्यांग शौचालय, स्कूल का सामने भाग सहित स्कूल के पूरे व्यवस्था का फोटो मोबाइल में अपलोड करना, मोबाइल से ही डाक एवं प्रपत्र का फोटो भेजना, मोबाइल से ही सारा जानकारी भेजना आदि कार्य शिक्षकों को ही करना पड़ रहा है।जिससे पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से बिखर रही है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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