अब गो-काष्ठ से होगा..अंतिम संस्कार.. मेयर ने बताया दो शहर के श्मशान में लगाए जाएंगे 5 मशीन..पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा

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बिलासपुर—-मेयर रामशरण यादव ने कहा कि अब मुक्तिधाम में गो-काष्ठ यानि गोबर से बनी लकड़ी से अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे लकड़ी की खपत कम होगी। और पर्यावरण भी सुरक्षित होगा। मेयर ने बताया कि गो काष्ठ की आपूर्ति नगर निगम के मोपका और सकरी मुक्तिधाम में गो-काष्ठ का निर्माण मशीन से प्रारंभ कर दिया गया है।
 
                     मेयर ने दावा किया है कि बिलासपुर संभाग में गोबर से काष्ठ बनाने का अपनी तरह का पहला प्लांट है। इससे जलाऊ लकड़ी की खपत कम होगी। इसके अलावा  पेड़ों और पर्यावरण का भी संरक्षण मिलेगा। यह जानकारी मेयर रामशरण यादव ने पत्रकारों को दी। 
 
            मेयर ने बताया कि हमे अच्छी तरह से जानकारी है कि श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के दौरान हर महीने हजारों क्विंटल लकड़ी खपत होती है। इसका सीधा प्रभाव हरे भरे पेड़ो पर पड़ता है। हरे भरे पेड़ों के कटने स पर्यावरण का भारी नुकसान पहुंचता है। पर्यावरण और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए निगम ने शहर के मुक्तिधामों में गो-काष्ठ मशीन लगाने का फैसला किया है। सभी मशीने महापौर मद से नगर निगम के मक्तिधाम में लगाया जाएगा। मेयर ने जानकारी दी कि 90 हजार के हिसाब से पांच मशीनों की खरीदी हुई है। दो मशीन मोपका और तीन मशीन सकरी मुक्तिधाम में लगाया जा रहा है। इनके लिए शहर के अंदर खुली डेयरियों और पशुपालको के यहां रोजाना निकलने वाले गोबर को शासकीय दर पर खरीदा जा रहा है।
 
              मेयर ने बताया कि मुक्तिधाम में लगे मशीनों से गो-काष्ठ निर्माण किया जाएगा। अाने वाले दो महीनों के अन्दर अंतिम संस्कार के लिए भरपूर लकड़ी उपलब्ध होगी। सामान्य जलाऊ लकड़ी की कीमत करीब 700 रुपए क्विंटल है। जबकि एक क्विंटल गो-काष्ठ खरीदने में 400 रुपए लगेंगे। 
 
                  मेयर ने जानकारी दी कि भविष्य में होलिका दहन, होटलों के अलावा अलाव में भी गो-काष्ठ का उपयोग किया जाएगा। 
 
 एक अंतिम संस्कार में दो पेड़ बराबर लकड़ी
 
             एक शरीर के अंतिम संस्कार में औसतन पांच से छह क्विंटल लकड़ी लगती है। जबकि एक सामान्य पेड़ से दो से तीन क्विंटल लकड़ी हासिल होता है। इसका मतलब एक शरीर के  अंतिम संस्कार में औसत दो पेड़ के बराबर लकड़ी की खपत होती है। महापौर रामशण यादव ने पेड़ों और पर्यावरण को बचाने के लिए गो-काष्ठ का उपयोग करने सबको सलाह दी है।
 
पर्यावरण संरक्षण के साथ शहर रहेगा स्वच्छ–मेयर
 
                 शहर के मुक्तिधामों में गो-काष्ठ बनाने का अभी शुरुआत है। आगामी एक-दो महीने में यह पूर्ण रूप से प्रारंभ हो जाएगा। इससे शहर स्वच्छ रहने के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा। गो-काष्ठ सामान्य लकड़ी से कम दाम पर मिलेगी। अंतिम संस्कार के लिए सामान्य जलाऊ लकड़ी का उपयोग बंद होने से पेड़ बचेंगे।
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