(गिरिज़ेय) मरवाही विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली और अपनी परंपरागत सीट पर फिर से कब्जा जमा लिया । छत्तीसगढ़ में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कांग्रेस ने इस चुनाव में सकारात्मक मुद्दों को सामने रखा और गौरेला- पेंड्रा -मरवाही जिला बनाने के बाद उस इलाके के लोगों के मन में भरोसा कायम कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टीम ने जीत का परचम लहराया । वहीं इस चुनाव मैदान से बाहर रहकर ख़ेल रहे अमित जोगी चुनाव को अपने हिसाब से मोड़ने में नाक़ाम ही रहे ।अशोक शर्मा गौरेला के पुराने कांग्रेसी हैं । वे डॉ. भंवर सिंह पोर्ते और राजेंद्र प्रसाद शुक्ल जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के काफी नजदीक रहे और उस इलाके की सियासत को बखूबी समझते हैं । अशोक शर्मा ने पिछले 15 अगस्त को खुशियों से भर कर कहा था कि हमारी पीढ़ी का यह सौभाग्य है कि हमने जीते जी अपने गौरेला के जिला मुख्यालय में आजादी पर्व का जश्न देखा । जब यहां के जिला मुख्यालय में झंडा फहराया गया तो वर्षों पुरानी मुराद पूरी हुई ।
अशोक शर्मा की इस बात से एहसास हो गया था कि गौरेला -पेंड्रा -मरवाही इलाके के लोगों को नए जिले की सौगात मिलने से कितनी खुशी हुई है और उससे भी अधिक लोगों के मन में यह भरोसा जगा है कि भूपेश बघेल की अगुवाई में छत्तीसगढ़ की मौजूदा कांग्रेस सरकार बरसों से उपेक्षित रहे इस इलाके की तरक्की को नया रास्ता दिखा सकती है । उस दिन से ही राजनीतिक प्रेक्षकों के मन में यह भरोसा भी जग गया था कि जब भी इस इलाके में चुनाव होंगे और लोगों को सरकार के प्रति अपना जनमत व्यक्त करने का मौका मिलेगा तो लोग भी कांग्रेस के ही साथ खड़े दिख़ाई देंगे । चूंकि उन्हें लगने लगा था कि कांग्रेस की सरकार अब उनके साथ खड़ी हुई है ।
हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने काफी पहले ही गौरेला –पेंड्रा- मरवाही जिले का ऐलान कर दिया था और यह नया जिला फ़रवरी 2020 में अस्तित्व में भी आ गया । लेकिन मई में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के असामयिक निधन के बाद खाली हुई मरवाही सीट पर जब चुनाव की चर्चा चली तो लोगों को लग रहा था कि नए जिले की स्थापना का पूरा लाभ कांग्रेस को मिलेगा । चुनाव की स्थिति आने के बाद कांग्रेस ने व्यवस्थित तरीके से वहां अपना अभियान शुरू किया । नए जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल को वहां की जिम्मेदारी सौंपी गई । जो लगातार करीब सौ दिन तक इलाके में बिताए । साथ ही मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा ,राजेश तिवारी ने इलाके में रहकर बूथ और सेक्टर स्तर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी ।
इसी तरह मरवाही विधानसभा क्षेत्र को अलग-अलग जोन में बांटकर कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव, अर्जुन तिवारी ,विधायक शैलेश पांडे जैसे कई नेताओँ को जिम्मेदारी सौंपी गई ।कांग्रेस की टीम ने ऊपपर से नीचे तक पूरी सक्रियता के साथ काम किया । कांग्रेस को डॉ. के.के. ध्रुव के रूप में एक ऐसा फ्रेश उम्मीदवार मिला , जिनकी कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी । लेकिन मरवाही में बरसों से डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं देने के कारण इलाके के लोगों के साथ उनकी जीवंत – ज़मीनी संपर्क था । इस बीच सरकार ने इलाके की तरक्की के लिए करोड़ों के काम मंजूर किए । साथ ही गौरेला ,पेंड्रा नगर पंचायत को नगर पालिका का दर्जा दिया । मरवाही में नगर पंचायत बनाने की घोषणा की गई और एसडीएम कार्यालय भी बनाया गया । वहां नए एग्रीकल्चर कॉलेज की भी घोषणा हुई। इस तरह लगातार विकास के कार्यों को सामने रखकर भूपेश सरकार ने उस इलाके के लोगों को भरोसा दिलाया कि कांग्रेस की सरकार इलाके की तरक्की को लेकर क्या करने जा रही है….?
मरवाही में चुनाव अभियान शुरू होते ही कांग्रेस ने सकारात्मक तरीके से अपना अभियान चलाया। चुनाव प्रबंधन के साथ ही पार्टी के लोग इस बात पर जोर देते रहे कि विकास को लेकर प्रदेश की सरकार काफी आगे तक जाने की तैयारी में है । काफी अरसे से उपेक्षित इस इलाके के लोगों का भरोसा इससे लगातार मजबूत होता चला गया । उनके सामने तस्वीर उभर रही थी की अजीत जोगी के मुख्यमंत्री रहते और उसके बाद 15 साल डॉ रमन सिंह की भाजपा सरकार के रहते जो काम नहीं हुए उन कामों को भूपेश सरकार ने पूरा कर दिखाया है । जिससे चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस का रोड मैप तैयार होने लगा था और आखिर कांग्रेस नें अपनी परंपरागत मरवाही सीट पर जीत हासिल की। 38000 वोट से अधिक का अंतर और कांग्रेस को मिले करीब 56 फ़ीसदी वोट इस बात के गवाह है कि इलाके के लोगों ने तरक्की के मामले में कांग्रेस पर पूरा भरोसा जताया ।
चुनाव नतीजे आने के बाद गौरेला के कांग्रेस नेता अशोक शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव के पहले इस इलाके में अपने दौरे के बीच भरोसा दिलाया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर गौरेला –पेंड्रा- मरवाही को जिले की सौगात मिलेगी। वर्षो से संघर्ष के बाद इस इलाके को जो चीज नहीं मिल सकी थी। वह सौंपकर भूपेश बघेल ने इस इलाके के लोगों का दिल पहले ही जीत लिया था और मरवाही इलाके के लोगों की बारी आई तो उन्होंने भी भूपेश बघेल को बदले में जीत सौंप दी । अशोक शर्मा कहते हैं कि यह चुनाव पूरी तरह से सकारात्मक मुद्दे पर लड़ा गया । जिसका मतदाताओं पर व्यापक असर पड़ा और नतीजे सभी के सामने हैं ।
मरवाही के चुनाव में कांग्रेस के सामने चुनौतियां कम नहीं थी । सबसे अहम बात यह थी कि मरवाही इलाका जोगी परिवार का पुराना गढ़ माना जाता रहा है । जहां से जोगी परिवार के उम्मीदवारों को चार बार कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल हुई थी और 2018 का पिछला चुनाव अजीत जोगी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ( जे.) की टिकट पर जीते थे । लगातार इतने चुनाव में जीत से यह स्पष्ट है कि मरवाही इलाके में जोगी परिवार का प्रभाव रहा है । हालांकि इस बार चुनाव के ठीक पहले कुछ इस तरह के हालात बने कि अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का पर्चा रद्द हो गया । जिससे करीब दो दशक के बाद जोगी परिवार मरवाही विधानसभा सीट के चुनाव मैदान से बाहर हो गया । हालांकि उसके बाद मैदान से बाहर रहकर भी अमित जोगी चुनाव पर अपनी दखलअंदाजी कायम रखने की कोशिश में लगे रहे। उन्होंने न्याय यात्रा निकाली….. ।
अजीत जोगी के जीवन पर आधारित किताब बांटी गई। आखिर में समीकरण इस तरह बने की जोगी कांग्रेस ने चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का खुलकर समर्थन कर दिया । इससे जोगी कांग्रेस में फूट भी पड़ी और पार्टी विधायक देवव्रत सिंह -प्रमोद शर्मा ने इसके खिलाफ अपने विचार रखें । उनका यहां तक कहना था कि यदि अजीत जोगी रहते तो वह कभी भी किसी चुनाव में बीजेपी का समर्थन नहीं करते । बहरहाल भाजपा के साथ आकर अमित जोगी को उम्मीद थी कि चुनाव में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा । वे कांग्रेस की हार में अपनी जीत देख रहे थे । लोगों को याद है कि मरवाही में मतदान के ठीक बाद अमित ज़ोगी ने बयान ज़ारी कर दावा किया था कि मरवाही के ज़्यादात़र पोलिंग बूथों पर भाजपा – जोगी कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार डॉ. गंभीर सिंह को बढ़त हास़िल होगी । उन्होने बक़ायदा मतदान केन्द्रों के नाम भी लिख़े थे।
लेकिन उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में ना होते हुए भी उन्होंने रिंग के बाहर से जिस तरह का खेल रचा ,उसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी । राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि अमित जोगी अपने वोट भाजपा में शिफ्ट कराने में नाकाम रहे और वे जिस नतीजे की उम्मीद कर रहे थे ,वैसे नतीजे नहीं आए । मरवाही विधानसभा सीट के मतदान केंद्र मरवाही, गौरेला और पेंड्रा ब्लॉक में बंटे हुए हैं । नतीजों से यह बात स्पष्ट है कि मरवाही ब्लॉक के मतदान केंद्रों में जोगी के मैसेज़ का कोई ख़ास असर नहीं हो सका । गौरेला ब्लॉक के बहुत थोड़े से इलाकों में आंशिक रूप से इसका असर रहा । लेकिन पेंड्रा ब्लॉक भी करीब-करीब अछूता रहा । जोगी की रणनीति में एक यह खामी भी नजर आई कि भाजपा के समर्थन का ऐलान करने में उन्होंने काफी देरी की । चुनाव के आखिरी दौर में वे ख़ुलकर भाजपा के साथ आए । जिससे उनकी मुहिम बेअसर साबित हुई । वे चुनाव को ज़िस दिशा में मोड़ना चाहते थे , उस दिशा में नहीं मोड़ सके और कांग्रेस नें मैदान से बाहर रहकर ख़ेल रहे जोगी को मात दे दी।