किरायेदार पुलिस आरक्षक के अभ्रद व्यवहार पर राज्य महिला आयोग ने SP को दिए कार्यवाही के निर्देश

Shri Mi
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बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक द्वारा बिलासपुर जिले में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए आज सुनवाई आयोजित की गई। आयोग की सदस्य अर्चना उपाध्याय और शशीकांता राठौर भी सुनवाई में उपस्थित थीं। इस दौरान 25 प्रकरण रखे गये थे। जिसमें 21 प्रकरणों में सुनवाई हुई, 10 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया। डाॅ. नायक ने कहा कि महिलाओं से कार्यस्थल पर सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए। जिससे वे सुरक्षित माहौल में अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकंे।

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कलेक्टोरेट की मंथन सभाकक्ष में आयोजित सुनवाई में श्रीमती नायक ने एक प्रकरण में डीपीएस स्कूल तिफरा बिलासपुर केे छात्र शिवम अग्रवाल को छठवीं एवं सातवीं कक्षाओं का मार्कशीट प्रदान करने का निर्देश दिया। छात्र की मार्कशीट स्कूल द्वारा रोककर रखी गई है। जिसके कारण उसे आगे की कक्षा में प्रवेश के लिए परेशानी हो रही है। बालक के माता पिता ने आयोग से इस संबंध में गुहार लगायी। छात्र पीड़ित न हो और उसके भविष्य को देखते हुए दोनों पक्षों की वकील के माध्यम से काउंसलिंग कराई गई साथ ही यह मामला लोक अदालत में भी है, इसलिए आवेदक द्वारा आयोग से प्रकरण वापस ले लिया गया।

एक अन्य प्रकरण में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेलतरा की महिला आरएचओ ने केन्द्र के सुपरवाईजर पर अभद्रतापूर्वक व्यवहार में गाली गलौज करने की शिकायत की। अनावेदक ने आयोग के समक्ष सभी आवेदिका महिलाओं से मांफी मांगी। उन्हें समझाईश दी गई कि शासकीय सेवा में रहते हुए किसी भी महिला से गाली गलौज एवं अभद्रतापूर्ण व्यवहार नहीं करेंगे अन्यथा सिविल सेवा आचरण के अंतर्गत उनके खिलाफ आयोग द्वारा कार्यवाही की अनुशंसा की जा सकती है। आवेदकों की संतुष्टि के आधार पर प्रकरण को समाप्त कर नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक जो पुलिस विभाग में आरक्षक है, वह विगत 12-13 वर्ष से आवेदिका का किरायेदार है और विगत एक वर्ष से मकान किराया और पानी और बिजली का बिल नहीं दे रहा है। आवेदिका द्वारा मकान खाली करने हेतु कहे जाने पर वह पुलिस के नौकरी की आड़ में उसे धमकी देता है। इस संबंध में आयोग द्वारा पुलिस अधीक्षक बिलासपुर की मध्यस्थता से अनावेदक को मकान खाली कराकर संपूर्ण मामले का निराकरण कर आयोग को रिपोर्ट पे्रषित करने कहा गया ताकि मामले को नस्तीबद्ध किया जा सके। अनावेदक द्वारा मकान खाली नहीं करने पर उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए अनुशंसा की जाएगी। एक प्रकरण में अपने पति से अलग रह रही महिला ने बेटी के भरण पोषण के लिए पति से खर्च दिलाने की गुहार की। आयोग की समझाईश पर महिला का पति बेटी के पढ़ाई लिखाई व भोजन के खर्च के लिए प्रति माह तीन हजार रूपए बेटी के एकाउंट में देने के लिए राजी हुआ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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