दन- दना चली कुल्हाड़ी….हसदेव जंगल के सैकड़ों पेडों की हत्या…आदिवासियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार..जंगल प्रेमियों ने छेड़ा जंग

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-गुरूवार सुबह छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस ने पिछले 6 महीनों से अंबिकापुर स्थित हसदेव जंगल को बचाने धरना प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों को गिरफ्तार किया है। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने आदिवासियों के साथ अमानवीय वन्यवहार भी किया है। सरकार की पुलिस ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे आलोक शुक्ला को गिरफ्तार कर बिलासपुर में छोड़ा है। बहरहाल पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर जंगलप्रेमियों समेत कांग्रेस नेताओं और स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। कांग्रेस नेता शैलेष पाण्डेय ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री के राज्य में आदिवासियों के साथ पुलिस की अमानवीय कार्रवाई शर्मसार करने वाली है।

गुरूवार की सुबह स्थानीय पुलिस ने हसदेव क्षेत्र के जंगल में पेड़ों को बचाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों को खदेड़ा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दौरान पुलिस ने आदिवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार  किया है। जंगल और जीव प्रेमी चन्द्रप्रदीप वायजेपी ने बताया कि हसदेव जंगल के पेड़ों की कटाई को रोकने पिछले 600 दिनों से आदिवासी समाज के साथ जन सामान्य लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

लेकिन गुरूवार की सुबह पुलिस टीम घाट बररा पेन्ड्रा मार पहुंचकर धरना आंदोलन कर रहे आदिवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार कर भगाया है।  इतना ही नहीं घर घुसकर पुलिस ने आदिवासी परिवारों के लोगों को हिरासत में लिया है। इसके साथ ही जंगल की अधाधुंद कटाई का काम भी शुरू हो गया है। हसदेव बचाओ आंदोलन की अगुवाई कर रहे डॉ. आलोक शुक्ला को हिरासत में लेकर पुलिस ने अज्ञात स्थान पर छोड़ा है। देर शाम जानकारी मिली कि आलोक शुक्ला को बिलासपुर में छोड़ा गया है। साथ ही आंदोलन से दूर रहने की चेतावनी भी दी गयी है।

 घटनाक्रम से नाराज पूर्व विधायक शैलेष पाण्डेय, जंगल मितान के संस्थापक चन्द्रप्रदीप वाजपेयी ने बताया कि प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री है। दुख की बात है कि आदिवासी मुख्यमंत्री की पुलिस ही आदिवासियों की दुश्मन बन चुकी है। हसदेव के जंगल को बचाने के लिए आदिवासी सड़क पर हैं। लेकिन आदिवासी मुख्यमंत्री के राज्य में आदिवासियों को जेल भेजा जा रहा है। पुलिस संरक्षण में हसदेव के जंगलों को काटा जा रहा है। सुबह से दोपहर तक सैकड़ों पेड़ों की सुरक्षा के बीच हत्या हो चुकी है।

 शैलेष ने कहा कि आदिवासी समाज की चिंता और हसदेव जंगल की उपयोगिता को समझते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया था। मेधा पाटेकर और रादेश टिकैत जैसी नामचीन हस्तियों ने भी हसदेव बचाओ अभियान में शिरकत कर आदिवासी समाज की चिंता में अपनी चिंता को शामिल किया था। बावजूद इसके सरकार बनते ही भाजपा ने अडानी को लाभ पहुंचाने जंगलों को काटना शुरू कर दिया गया।

अखिलेश चंद्रप्रकाश बाजपेई ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि जंगल बरबाद होने का मतलब वन्य जीव ही नहीं बल्कि मानव जीवन पर भारी संकट का संकेत है। आज हमने देवकीनन्दन दीक्षित चौक पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ और जंगल को बचाने पोस्टर प्रदर्शनी किया । सरकार से आदिवासियों के खिलाफ हो रहे पुलिस अत्याचार रोकने की गुहार लगाई है। हमारी बातों को गौर नहीं किया गया तो हम उग्र आंदोलन के लिए मजबूर हैं। चाहे जान चली जाए..लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता की जिन्दगी को अडानी के हाथों गिरवी नहीं होने देंगे।

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