कुलपति समागम का समापन…मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री ने कहा…भारत बनेगा विश्वगुरू…अब हमें कोई नहीं रोक सकता

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ मध्य क्षेत्र के दो दिवसीय कुलपति समागम का समापन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में उप मुख्यमंत्री अरूण साव बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। समारोह की अध्यक्षता प्रो. जी.डी. शर्मा, अध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने किया।

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मुख्य अतिथि साव ने  कहा कि शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भारतीय विश्वविद्यालय संघ का काम प्रशंसनीय है। शिक्षा और  संस्कृति के क्षेत्र में संघ के योगदान से शिक्षा में एकरूपता और समानता आ रही है।  लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने हमारे मानसिकता को कमजोर किया है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विश्वविद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी। हम जानते है कि भारत में विश्वगुरू बनने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में भारत का मान-सम्मान और  स्वीकार्यता बढ़ी है। भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदला है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत फिर से विश्व गुरू कहलाएगा।

अरूण साव ने छात्रों से आहृवान किया कि पढ़ाई को तनाव के रूप में न लें।कक्षा में आत्मविश्वास और ऊर्जा का माहौल बनाकर रखें। उन्होने दुहराया कि छात्र को राष्ट्रभक्त और  आत्मविश्वास से परिपूर्ण नागरिक बनाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की है।

 इसके पहले तरंग बैंड के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की प्रस्तुति दी। मंचस्थ अतिथियों का नन्हें पौधों से स्वागत किया गया। स्वागत भाषण गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के  कुलपति  प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने दिया। उन्होने कहा कि परिवार के सदस्य की तरह उप-मुख्यमंत्री श्री अरूण साव का सहयोग हमेशा विश्वविद्यालय को मिलता है। साव सच्चे अर्थो में लोकनायक एवं जननायक हैं। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सभी पदाधिकारियों का अभिनंदन करते हुए  कहा कि यह संघ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यूनिवर्सिटी न्यूज की सम्पादक डॉ. एस. रमा देवी पाणी ने दो दिवसीय कुलपति समागम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

प्रो. जी.डी. शर्मा ने कहा कि भारत बदल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप यहां की शिक्षा नीति भी बदल रही है। हमारा आत्मविश्वास विश्व में सबसे ऊपर रहा है। हम मानते रहे हैं कि जो कुछ हमारे पास है, वही श्रेष्ठ है। भारतीय ज्ञान परंपरा को अपनाते हुए अब नकारात्मकता को जड़ से खत्म कर सकारात्मक विचार लाने की आवश्यकता है। हमें विश्व गुरू बनने से कोई भी नहीं रोक सकता।

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