अधिवक्ता रोहित शर्मा ने जानकारी दिया कि नवंबर 2016 में मेसर्स मां हरसिद्धी इंफ्रा डेव्हलपर्स के निर्देशक एल.बाबू राव जीके फोर्ड से नई एंडेवर स्टारडस्ट कार 30 लाख 97 हजार 47 रूपये में खरीदा। बारंटी अवधि के दौराम कार में एक दो महीने के अंतराल में बार-बार खराबी आने लगी। मामले की जानकारी उपभोक्ता बाबू रावन ने कंपनी और डीलर दोनों को दिया।बावजूद इसके उपभोक्ता की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया।
उपभोक्ता की तरफ से वकील ने आओग को बताया कि बाबूराव की कार एक बार बस्तर इलाके में बंद हो गयी। इस दौारन उपभोक्ता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कार टो कर शोरूम जाना गया। कई बार गाड़ी खराब होने और निरीक्षण के बाद भी कंपनी इंजीनीयर्स खामियों का पता नहीं लगा पाया। इस कभी स्पेयर पार्टस बदलने तो कभी मरम्मत का काम गाड़ी में किया गया। इस दौरान दो-दो महीने तक गाड़ी शोरूम में खड़ी रही।
परेशान होकर कार उपभोक्ता एल. बाबू राव ने अधिवक्ता शिशिर श्रीवास्तव के माध्यम से आयोग में परिवाद दायर किया। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ती गौतम चौरड़िया, सदस्य गोपालचंद्र शील और प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने मामले को संज्ञान में लिया। मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग, रायपुर संभाग को विशेषज्ञ नियुक्त कर गाड़ी का निरीक्षण कर प्रतिवेदन पेश करने को कहा।
जांच पड़ताल के बाद विशेषज्ञ ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि वाहन में निर्माणगत त्रुटी है। प्रतिवेदन को केन्द्र में रखते हुए आयोग ने साक्ष्यों के आधार पर कम्पनी और कार शो रूम संचालक को संयुक्त रूप से कार उपभोक्ता को तीस लाख रूपए दिए जाने को कहा। विकल्प के तौर पर आयोग फैसला सुनाया कि कार उपभोक्ता को उसी कम्पनी की नई कार दिया जाए।