पढिए मरवाही चुनाव में कांग्रेस–भाजपा को अपने किस दाँव पर है भरोसा..?

Chief Editor
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बिलासपुर(रुद्र अवस्थी)।मरवाही विधानसभा के चुनाव का फैसला आने वाले हफ्ते में हो जाएगा  । 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे । उसके पहले चुनाव को लेकर घमासान जारी है । प्रचार अभियान के आखिरी दौर तक मरवाही का मुकाबला दिलचस्प नजर आ रहा है । जिसमें इस बार फिर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं । जोगी कांग्रेस बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है । लेकिन फिर भी चुनाव में अपने तरीके से हिस्सेदारी निभा रही है और वोट की जगह इंसाफ की उम्मीद में अपनी एक अलग मुहिम चला रखी है ।  इस चुनाव को दिलचस्प मानने के पीछे की वजह यही है कि चुनावी मुकाबला किसी के लिए भी आसान नजर नहीं आ रहा है । तभी तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इलाक़े में  3  दिन मुकाम कर मरवाही में कई सभाएं लीं ।  कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव सहित कई मंत्री -विधायक और प्रदेश कांग्रेस  के मुखिया सहित सलाहकार और कांग्रेस के तमाम रणनीतिकार मरवाही इलाके में डटे रहे।CGWALL के व्हाट्सएप न्यूज़ ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत मरवाही के चुनाव प्रभारी अमर अग्रवाल ,बृजमोहन अग्रवाल ,अजय चंद्राकर, विष्णु देव राय ,नारायण चंदेल ,शिवरतन शर्मा जैसे कई दिग्गज नेता भी मैदान पर नजर आए ।  बयानबाजी और जुबानी जंग भी चलती रही । इस दौरान सभी की नजर जोगी खेमे की ओर लगी रही । जो मैदान में न रहते हुए भी इस चुनावी जंग का हिस्सा बने रहे ।  मरवाही चुनाव के नतीजे को बूझने के लिए इस सीन पर गौर करना जरूरी है ,जो इस बात का एहसास कराता है कि चुनाव एकतरफा नहीं है । कांग्रेस इसलिए पूरी ताकत लगा रही है । जिससे कहीं कोई कमी यहां चूक ना रह जाए और हर हाल में मैदान जीतना है ।  वही बीजेपी ने भी इस उम्मीद में ताकत झोंक दी है कि जोगी फैक्टर के भरोसे बाजी हाथ लग सकती है । इसलिए कहीं कोई कमी न रह जाए ।  इधर चुनावी समीकरण के बीच तीसरी ताकत भी अपनी भूमिका को कमतर नहीं करना चाह रही है । पूरे चुनावी माहौल में मुकाबले को त्रिकोण के बीच ही घुमाए रखने की पूरी जुगत चलती रही । अब 3 नवंबर को मतदान और 10 नवंबर को होने वाली गिनती से ही यह साफ हो सकेगा की चुनाव मैदान में किसकी ताकत का असर अधिक हुआ है ।

क्यों याद आया कोटा का उपचुनाव ….?

मरवाही विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से पूरे इलाके के माहौल पर नजर रखने वाले पुराने लोगों को कोटा उपचुनाव की भी याद ताजा हो गई । करीब 13 साल पुराने इस उपचुनाव के समय जो माहौल था वह इस बार भी नजर आया।  भले ही सत्ता और विपक्ष के चेहरे बदल गए हों ।  लेकिन चुनाव का रंग -ढंग कोटा चुनाव जैसा ही करीब नजर आया । दिलचस्प बात यह भी है कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र कोटा से लगा हुआ क्षेत्र है । कोटा उपचुनाव के समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और सरकार में बैठे लोगों ने उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी । गांव- गांव तक पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी- मंत्री पहुंच गए थे । तब के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह ने धुआंधार प्रचार किया था ।  दिलचस्प बात यह भी है कि कोटा उपचुनाव के समय “जोगी फैक्टर”  की अहम भूमिका रही ।इस चुनाव में  कांग्रेस की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी पहली बार चुनाव मैदान में उतरी थीं।  अजीत जोगी कांग्रेस की पूरी टीम को लेकर अपने रणनीति कौशल का इस्तेमाल करते हुए मैदान में डटे रहे ।  लेकिन कोटा और मरवाही के चुनाव का एक बड़ा फर्क यह है कि उस समय जोगी परिवार चुनाव मैदान मे था और मरवाही उप चुनाव में उम्मीदवारों की सूची से बाहर होकर भी जोगी फैक्टर को बनाए रखने के लिए पूरी जद्दोजहद करता  रहा । । अब नतीज़ों की बात करें तो उस समय बीजेपी प्रदेश में सरकार चला रही थी । लेकिन पूरी ताकत झोंकने के बाद उसे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और अपनी रणनीति के दम पर जोगी ने जीत का परचम लहराया था । अब दिलचस्पी के साथ लोग इस चुनाव के नतीजे पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं कि मैदान से बाहर रहकर भी जोगी फैक्टर किसके लिए कितना असरदार हो पाएगा…?

 झोला छाप डॉक्टरों पर लगेगी नक़ेल

कोविड-19 का दौर चल रहा है ऐसे समय में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सभी की चिंता है । हाईकोर्ट ने भी झोलाछाप डॉक्टरों के मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई की है और शासन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है । जिससे झोलाछाप डॉक्टरों के मामले में हलचल एक बार फिर शुरू हो गई है । इसे लेकर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है ।  हर बार यह बात कही जाती है कि झोलाछाप डॉक्टरों पर रोक लगाने के लिए ठोस पहल ठोस उपाय किए जाने चाहिए । लेकिन नतीजा सिफर ही रहा । जिससे यह मामला अब तक कायम है । जनहित याचिका में सक्ती  के एक अस्पताल को लेकर मामला दायर किया गया है । जिसमें कहा गया है कि अस्पताल का संचालन बीएएमएस डॉक्टर कर रहे हैं । जबकि वहां एलोपैथी के जरिए इलाज किया जाता है।  ऐसा किया जाना सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश के साथ ही कानून के भी खिलाफ है ।  हॉस्पिटल में छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है । पहले भी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही के लिए आदेश पारित किया है।  इसके बावजूद मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी और राज्य शासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया । इस तरह आम जनता की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है । याचिकाकर्ता ने कहा है कि नियम विरुद्ध खुल रहे हॉस्पिटल और राज्य में बढ़ती झोलाछाप डॉक्टरों की प्रैक्टिस को रोकने के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है । इसलिए कोर्ट की ओर से जिम्मेदार लोगों को सख्त निर्देश जारी किए जाने की जरूरत है । उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट की नोटिस के बाद अब इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई हो सकेगी ।

 बिलासपुर को नेशनल वाटर अवार्ड

पानी की समस्या को लेकर प्रदेश और देश ही नहीं पूरी दुनिया में चिंता की जा रही है । ऐसे दौर में बिलासपुर जिले के लिए अच्छी खबर है कि जिले के नदी -नालों के उत्थान और पर्यावरण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ जिलों में पहला स्थान मिला है । केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए 2019 का नेशनल वाटर अवार्ड बिलासपुर जिले को दिया गया है । जिले को रिवाइवल आफ रिवर केटेगरी में राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार मिला है । खबर है कि पिछले 2 साल में बिलासपुर जिले के जल संसाधन विभाग ने कई नदियों और नालों में करीब 50 स्ट्रक्चर बनाएं और 17 . 508 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता का सृजन किया गया है । साथ ही 152 किलोमीटर लंबाई तक नदियों और नालों में जलभराव सुनिश्चित किया गया है । जबकि और भी काम प्रगति पर हैं । पानी के संरक्षण को लेकर सरकार के स्तर पर की जा रही पहल की चर्चा अक्सर होती है और बरसों से होती रही है । लेकिन अगर उसके सुखद परिणाम सामने आते हैं तो निश्चय ही बेहतर कल की उम्मीद की जा सकती है । यह अवार्ड बिलासपुर जिले में किए जा रहे प्रयासों की पुष्टि है और इसे आने वाले दिनों में भी जारी रखने का हौसला मिल सकेगा ।

अपोलो में हार्ट का दुर्लभ सफल ऑपरेशन

कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों को बचाने के लिए चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं । ऐसे में बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में एक मरीज के हार्ट का दुर्लभ सफल ऑपरेशन कर मध्य भारत में एक रिकॉर्ड बनाया है । कोरोना  संदिग्ध मरीज के हृदय की जटिल और कठिन सर्जरी अपोलो के डॉक्टरों ने की और न सिर्फ महिला ऑपरेशन मरीज की जान बचाई बल्कि उसकी नन्ही बच्ची को भी जिंदगी मिल गई  । महिला मरीज मार्फिन सिंड्रोम जैसी जटिल बीमारी से ग्रसित थी । डॉक्टरों ने 13 घंटे में उसका सफल ऑपरेशन किया । वह भी ऐसे समय जबकि वह मरीज कोविड संदिग्ध बताई गई थी । मेडिकल जगत में इस तरह की सर्जरी को काफी जटिल माना जाता है । देश के महानगरों में ही इस तरह की सर्जरी अब तक की जाती रही है । लेकिन जोखिम भरी सर्जरी को सफल कर अपोलो के डॉक्टरों की टीम ने  एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है ।

ई-ऑफ़िस का प्रयोग समय की ज़रूरत

कोविड-19 के दौर में जब करीब सभी क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हुए हैं और सामान्य ढंग से कामकाज नहीं हो पा रहा है । ऐसे समय का उपयोग कर कोयला कंपनी एसईसीएल ने ई- ऑफिस का प्रयोग सफल किया है । आज के दौर में जब दफ्तर के कामकाज सामान्य ढंग से नहीं हो पा रहे हैं । कई कर्मचारी घरों से दफ्तर की बजाए अपने घरों से काम पूरा कर रहे हैं । एसईसीएल ने इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पेपरलेस ऑफिस की कल्पना को साकार करने की मुहिम शुरू की । एसईसीएल ने ऑफिस का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया और सभी ऑफिशियल काम कंप्यूटर के जरिए करने के निर्देश जारी किए । जिससे विभाग के कर्मचारी अपने घरों से काम करते रहे ।  ई ऑफिस के जरिए बिना कागज पत्तर के काम हुआ ।  कामकाज में कोई  रुकावट भी नहीं  आई और समय पर काम भी पूरे होते रहे ।  यह प्रयोग नजीर की तरह है जिसे दूसरे विभागों में भी आजमा कर कामकाज को बेहतर किया जा सकता है । चूंकि फ़लहाल यह समय की ज़रूरत भी मानी ज़ा रही है ।

हवाई सुविधा के लिए धरना फिर शुरू

बिलासपुर को महानगरों तक हवाई सेवा से जोड़ने के लिए हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने एक बार फिर धरना आंदोलन शुरू कर दिया है । पिछले साल 26 अक्टूबर को अखंड धरना शुरू किया गया था । जो लगातार 150 दिन तक चला । कोरोनावायरस के कारण यह धरना स्थगित किया गया था । जन दबाव के नतीजे के बतौर बिलासपुर हवाई अड्डे को थ्री – सी श्रेणी में बदलने का काम तेज हुआ । साथ ही बिलासपुर से भोपाल उड़ान को मंजूरी दी गई । लेकिन हवाई सुविधा संघर्ष समिति का मानना है कि यह काफी नहीं है । बिलासपुर से मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई ,कोलकाता, पुणे, बेंगलुरु ,हैदराबाद ,चेन्नई जैसे महानगरों तक उड़ान की सुविधा मिलनी चाहिए । भोपाल तक जाने वाले यात्रियों की तुलना में महानगरों के लिए यात्रियों की संख्या कहीं अधिक है । इस मांग को लेकर समिति ने फिर से धरना आंदोलन शुरू किया है । जो मांग पूरी होने तक जारी रहेगा।

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