CG Education Department: शिक्षा विभाग की हलचल,सरकार बदल गई लेकिन अब भी कायम है “किस्सा कुर्सी का”?

Shri Mi
8 Min Read

CG education department/बिलासपुर(मनीष जायसवाल) नई सरकार के गठन को एक महीने बीत चुके है। रायपुर विधायक बृजमोहन अग्रवाल स्कूल शिक्षा मंत्री के रूप में चुस्त तो नजर आ रहे है लेकिन इस विभाग की व्यवस्था नए राज काज में सुस्त ही दिखाई दे रही है।क्योंकि वर्तमान सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में सब कुछ फास्ट ट्रेक मोड़ में हो ऐसी उम्मीदें जनता जनार्दन में मन में हमेशा बनी रहती है। अभी हाल ही में शिक्षा विभाग के सचिव और संचालक भी बदल गए है। लेकिन इस विभाग में पुरानी सरकार में वजनदार रहे व्यवस्था के जिम्मेदार लोगो की छाप अभी भी गहरी है। जिसकी वजह किस्सा कुर्सी का है ..! 

Join Our WhatsApp Group Join Now

भूपेश बघेल की सरकार के दौरान सियासत में किस्सा कुर्सी का खूब चर्चा में रहा..! उसकी उसी का छाया रूप शिक्षा विभाग में सबसे अधिक दिखाई दिया इसी विभाग में अपनी कुर्सी के पावर को और ताकतवर करने के फेर में कुछ अफसरों ने भूपेश सरकार की किरकिरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी … हाई कमान किस बात को लेकर असहाय था जो इनके अपरिपक्व निर्णयों को हरी झंडी देता रहा .!

संभवत यही वजह रही कि इस विभाग में निर्णय क्षमता कुछ हाथो में केंद्रित रही जिससे काम काज के निर्णय पेंडिग रहे। 

शिक्षा विभाग में त्वरित निर्णय नहीं लेने के कारण कई जगहों पर ब्लाक से लेकर संभाग तक हुई पोस्टिंग के दौरान एक कुर्सी के लिए दो अधिकारी दावे करते रहे।

कई मामले कोर्ट भी गए..। कोर्ट के आदेश पर विभाग के निर्णय अटके रहे। जिसने अव्यवस्थाओं को जन्म दिया। जो अधिकारी कोर्ट से लड़ कर हार गए उन्होंने एक कुर्सी दो दावेदार के रूप में आधा तेरा आधा मेरा की तर्ज पर नई परिपाटी के रूप में स्वीकार लिया। जो कही पर महीनो तो कही सालो से चल रहा है..। जिसकी वजह शिक्षा विभाग के कानूनी मसलों पर निर्णय लेने की पुराने जमाने की पद्धति ही प्रचलन में है। जो भारतीय जनता पार्टी की नई साय सरकार में भी जारी है…। इस सरकार के शिक्षा विभाग में कांग्रेस सरकार के दौर में चल रहा किस्सा कुर्सी का एक महीने बाद भी वैसा ही दिखाई दे रहा है..!  

किस्सा कुर्सी की वजह से बिलासपुर संयुक्त संचालक शिक्षा संभागीय कार्यालय अब दो खेमों में बंट चुका है। इस कार्यालय में दो अधिकारी एक कुर्सी के दावेदार बने हुए है। जिसमे एक अधिकारी है एस के प्रसाद जो निलंबित किए गए थे जिसे बाद में कोर्ट ने बहाल करते हुए मूल पद पर भेज दिया था।दूसरे अधिकारी है आर पी आदित्य जो कि एस के प्रसाद के निलंबन के बाद स्थान रिक्त होने के दौरान आए।

एस के प्रसाद ने संयुक्त संचालक के पद पर पदभार तो ग्रहण कर लिया है। लेकिन उन्हें चार्ज नहीं मिला । क्योंकि आर पी आदित्य अपना पद देकर आखिर जाएंगे किधर.. । विभाग से उनके लिए निर्देश की प्रतिक्षा में है। दूसरी ओर एस के प्रसाद के लिए कोर्ट का आदेश अलग है..।

लेकिन किस्सा कुर्सी का सरगुजा और दुर्ग दोनो संभाग में स्थिति एकदम अलग है। यहां के संभागीय संयुक्त शिक्षा संचालको ने कोर्ट के आदेश की अहमियत को समझते हुए दोनो अधिकारियों ने पूर्व में निलंबित दोनो अधिकारियों के बहाल होने पर चार्ज दे दिया। यह तालमेल एक अच्छा संकेत है। रायपुर जेडी और बस्तर जेडी इस मामले में बच गए थे। क्योंकि मामला उनके कार्यकाल का नही था।

बिलासपुर संभाग में किस्सा कुर्सी का देखते हुए शिक्षक और शिक्षक संघ हाल ही में कोर्ट के आदेश से हुई शिक्षको की पदोन्नति और उसके बाद नवीन स्थान पर पोस्टिंग के लिए चल रही सांय सांय एक्सप्रेस जैसी रफ्तार पर सवाल उठा रहे है…।

यही विभाग प्रमुख एक मामले में कोर्ट का आदेश को सर्वोपरि मानते हुए नई सरकार में काउंसलिंग पोस्टिंग करते है और दूसरे मामले में कोर्ट के आदेश को लेकर अभिमत का सहारा लेते है..। और तीसरे खुद के मामले में लोक शिक्षण संचालनालय पर आश्रित रहते है। जो सवाल खड़े करता है कि जल्दीबाजी में पदोन्नति करने में इतनी दिलचस्पी के पीछे किस्सा कुर्सी का ही तो नही है ..।

सियासत कुछ ऐसी हुई किस्सा कुर्सी का ऐसा इशारा करता है कि ट्रांसफर, पोस्टिंग ,पदोन्नति, संशोधन के फेर में प्रतापपुर एक्सप्रेस का इंजन बदला गया ..।

सर्व जन हिताय को छोड़ अपने हिसाब के ट्रेक पर चलते हुए ही साजा एक्सप्रेस का इंजन बेकाबू हुआ था ..। जिसकी वजह से पदोन्नति संशोधन मामला तुल पकड़ कर बे पटरी हुआ था। अब चार महीने बाद इस मामले में इंजन पटरी पर आ चुका है। कई क्रॉसिंग कई स्टेशन पार करने के बाद इस मामले में न्यायालय की लड़ाई लड़ कर केस जीतने के बाद भी शिक्षको को अवमानना याचिका लगानी पड़ी है। उसके बाद ही उन्हें पूर्ण नहीं न्याय मिला है। जिसकी वजह भी किस्सा कुर्सी का है। 

यह बात सच है कि सरकार बने अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन ही हुए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में बृज मोहन अग्रवाल की टीम में अनुभवी आईएएस परदेशी सिद्धार्थ कोमल सचिव बने है। उपसचिव आईएएस डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी बनाई गई है वही लोक शिक्षण संचालनालय में संचालक के तौर पर आईएएससुश्री दिव्या उमेश मिश्रा है।

बिलासपुर कलेक्टर रह चुके आईएएस संजीव कुमार झा अब समग्र शिक्षा के संचालक के तौर पर अपनी सेवाएं स्कूल शिक्षा विभाग को देंगे । ऐसे में अब दूसरे और तीसरे पंक्ति के अधिकारी अब भविष्य को लेकर चिंतित है।क्योंकि किस्सा कुर्सी का जो है।

किस्सा कुर्सी को लेकर ही अब चिंतन मनन जोड़ जुगाड़ इस बात को लेकर भी चल रहा है कि शिक्षा व्यवस्था में पुरानी सरकार के विचारो को आकर देने वाले कुछ अफसर कुछ बचे गए वो दिन गिन रह है बाकि की छुट्टी हो गई है। लेकिन उन अफसरो और रणनीतिकारों की छाया उनके कई नव प्रायोगिक नवाचार इस सरकार में कितनी दूर सफर तक कर पाते है..!

इस बार उम्मीद की जा रही है कि नई शिक्षा नीति और नई व्यवस्था कैसी बनाई जाए इसके अलावा आगामी भर्ती, पदोन्नति, संशोधन ट्रांसफर को लेकर भी स्पष्ट नियम कानून बनाए जाए। ताकि किस्सा कुर्सी की वजह से बेवजह विवाद न खड़े न हो पाए। जिससे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार जो अब डबल इंजन वाली हो गई है। उसकी रफ्तार शिक्षा विभाग में सांय सांय हो जाए।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close