किसान नेता ने लिखा सीएम को पत्र..कहा..अंतर राशि का एकमुश्त करें भुगतान..सब्जी विक्रेताओं का किया जाए कर्ज माफ

Editor
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बिलासपुर—–भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को  इमेल के माध्यम से ज्ञापन भेजकर किसानों की समस्याओं से अवगत कराया है। धीरेन्द्र दुबे ने अपने पत्र में लॉकडाउन में किसानों को हो रही विभिन्न समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। दुबे ने सीएम और कृषि मंत्री से किसानों की समस्याओं का तत्काल निराकरण करने की मांग की है।
 
                 भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने लाकडाउन के दौरान किसानों को आ रही परेशानिोयं को लेकर सीएम और कृषि मंत्री को ईमेल किया है। पत्र के माध्यम से किसानों की समस्याओं को पेश किया है। किसान नेता ने बताया कि खरीफ फसल की तैयारियों से संबंधित खाद, बीज के लेन देन के लिए सहकारी समितियां  नियमित सुचारु रुप से प्रारंभ किया जाना बहुत जरूरी है। सोसायटियों में खाद बीजो का पर्याप्त मात्रा में भंडारण किये जाने की जरूरत है। ताकि किसानो को समय पर  खाद और  बीज की सुविधा उपलब्ध हो सके। 
 
             धीरेन्द्र दुबे ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि उर्वरक मूल्यों में कमी और बढ़ोतरी कंपनियों के हाथों में होता है। प्रदेश सरकार इस बात को ध्यान में रखते हुए उचित हस्तक्षेप कर केंद्र सरकार से समन्वय बनाते हुए  उर्वरक कंपनियों पर दबाव बनाएं। ताकि किसानों को उचित मूल्य में उर्वरक हासिल हो सके।
 
                      किसान नेता ने ईमेल के माध्यम से प्रदेश मुखिया और कृषि मंत्री को अन्य मांगों की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया है। धीरेन्द्र ने जानकारी दी कि सब्जी मंडी प्रारंभ किया जाना जरूरी है। जिससे सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को कम से कम नुकसान  करना पड़े। इसके अलावा सब्जी पैदा करने वाले किसानों को क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाए। क्योंकि लाकडाउन के दौरान सबसे अधिक नुकसान सब्जी पैदा करने वाले किसानों को उठाना पड़ा है। 
 
       किसान नेता ने सरकार से सब्जी पैदा करने वाले किसानों का ऋण माफी की भी बात कही है। धीरेन्द्र ने दलहन, तिलहन और धान विक्रय करने को लेकर कृषि उपज मंडियां प्रारंभ किए जाने का निवेदन किया है। दुबे ने बताया कि हमने सरकार से सभी मंडियों में कोविड नियमों का पालन सुनिश्चित कराए जाने की भी बात कही है। इसके साथ ही राजीव गांधी न्याय योजना अंतर्गत दी जाने वाली धान की अंतर राशि को किश्तों में ना देकर एकमुश्त दिए जाने का भी निवेदन किया है। क्योंकि अंतर राशि का चार किश्तों में भुगतान से सबसे अधिक नुकसान लघु और सीमांत किसानों को होता है। एक मुश्त राशि मिलने से किसानों को बैंकिंग सुविधा में लाभ मिलेगा।

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