बिलासपुर । आधारशिला विद्या मंदिर में ‘प्रोफेशनल डेवलपमेंट’ कार्यक्रम के तहत बच्चों ने इशांत तिवारी से संवाद कर ‘व्यापार जगत’ एवं ‘उद्यमिता’ को समझा | इशांत जी ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विस से काम की शुरुआत की पर उनकी रूचि उन्हें आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एवं वेल्थ मैनेजमेंट की तरफ ले कर आ गई | आज वे रायपुर एवं बिलासपुर में एक अंतर्राष्ट्रीय सर्टिफाइड वेल्थ मेनेजर के रूप में खुद की फर्म चला रहे हैं |
आधारशिला विद्या मंदिर के छात्रों से बातचीत करते हुए उन्होंने व्यक्तित्व विकास, कौशल विकास एवं उद्यमिता विकास के बारे में अपने विचार रखे | उन्होंने कहा कि आप जो करना चाहते हैं और जो आप हैं – इसके बीच गैप जितना कम हो उतना अच्छा रहेगा | किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आप का खुद का सटीक मूल्यांकन एवं संबंधित क्षेत्र के बारे में आपकी समझ बहुत आवश्यक है | यह भी समझना आवश्यक है कि जॉब्स इकनोमिक साइकिल के हिसाब से मिलती है – इसके लिए आपको तैयार रहना होगा | उन्होंने कई उदाहरणों से समझाया कि भारत में किस तरह इकॉनमी के बदलने से जॉब्स की मांग बदल जाती है | जैसे – पहले इलेक्ट्रिकल, ईक्त्रोनिक्स संबंधी जॉब्स में तेज़ी आई फिर सिविल और अब अन्य क्षेत्रों में ! अब भारत कई क्षेत्रों में आत्म निर्भर बन रहा है क्योंकि हमारे यहां कई बड़े उद्यम एवं इनोवेशन सफल हुए हैं | धीरे-धीरे वैश्विक स्तर पर भारत बड़ा एक्सपोर्टर बनेगा |
छात्रों के प्रश्नों के क्रम में एक रुचिकर प्रश्न आया कि जॉब और बिज़नस साथ-साथ करना चाहिए या पहले जॉब ? उन्होंने कहा कि अच्छा तो यही रहेगा कि हम पहले जॉब करें ताकि हमें अपनी नॉलेज और स्किल को व्यवहारिक रूप से जांचना आये, टीम में काम करना आये एवं किसी बिज़नस के प्रबंधन को करीब से देखने का अवसर मिले |
आधारशिला की प्रिंसिपल श्रीमती जी. आर मधुलिका ने इशांत तिवारी का धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कहा कि उनके आने से छात्रों को काफी मोटिवेशन मिला एवं वाणिज्य, प्रबंधन एवं बाज़ार की बारीकियों को समझने में मदद मिली |
आधारशिला के चेयरमैन अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह के सत्र के माध्यम से हम बच्चों का ‘वर्ल्ड व्यू’ बेहतर करने की कोशिश करते हैं ताकि वे खुद से जुडी चीजों को एवं आर्थिक व्यवस्था को अच्छी तरह समझ पायें | उन्होंने बताया कि हम समय-समय पर इस तरह ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से एक्सपर्ट से जुड़ेंगे ताकि हम न सिर्फ सूचना को याद करें बल्कि उस पर पर्याप्त चिंतन करें, एवं किताबी ज्ञान को आसपास हो रही घटनाओं से जोड़ कर देख पायें ।